धारचूला । पड़ोसी देश नेपाल में दार्चुला से टिंकर को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण कार्य तेजी से करने के लिए सेना को यह काम सौंप दिया है। नेपाली सेना के ब्रिगेडियर जर्नल रमेश गुरुंग के नेतृत्व में 53 सदस्यीय दल काठमांडू से दार्चुला के खलंगा पहुंचा है।
नेपाल सेना के प्रवक्ता संतोष बल्लभ पौडेल ने कहा कि दार्चुला-टिंकर सड़क निर्माण तेज करने के लिये विस्तृत इंजीनियरिंग सर्वेक्षण, डिजाइन, ड्राइंग और सड़क की कुल निर्माण लागत का निर्धारण करने के लिए एक सलाहकार का चयन किया जायेगा। सलाहकार का चयन करने के बाद तीन से छह कंपनियों का चयन किया जा सकता है। इस बीच नेपाल सेना की एक तकनीकी टीम सड़क बनाने के लिए दार्चुला पहुंच गई है। सेना के प्रवक्ता पोडेल ने बताया कि नेपाल सेना ब्रिगेडियर जनरल रमेश गुरुंग के नेतृत्व में 53 सदस्यीय दल काठमांडू से दारचुला के खलंगा पहुंच गया है।
उल्लेखनीय है कि 29 अप्रैल को नेपाल मंत्रिपरिषद की बैठक ने ब्यास गांवपालिका-2 में गांधीनगर से टिंकर तक सड़क निर्माण की जिम्मेदारी नेपाल सेना को सौंपने का निर्णय लिया था। सड़क खंड की कुल लंबाई 87 किलोमीटर है। नेपाल सेना के प्रवक्ता पौडेल ने कहा कि सेना की टीम वहां दो शिविर लगाएगी और निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य पूरा होने तक टीम वहीं रहेगी। सेना की एक टीम सड़क बनाने के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरणों के साथ आठ वाहनों में वहां पहुंची है। चालू वित्त वर्ष में सड़क के निर्माण के लिए 55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
गौरतलब है कि भारत ने जब से लिपुलेख सड़क बनाई है, तब से नेपाल और चीन दोनों को भारत का यह कदम नागवार गुजरा है। चीन के उकसाने पर नेपाल लगातार भारतीय सीमा पर आए दिन कुछ न कुछ हरकत करता रहता है। लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को उसने नेपाल के मानचित्र में दर्शाकर भारत को चुनौती देने की हरकत की। यह अलग बात है कि वैश्विक बिरादरी में उसे समर्थन नहीं मिला। इसी झुंझलाहट में अब वह दार्चुला-टिंकर मार्ग को भारतीय सीमा तक बनाने का काम नेपाल सेना के माध्यम से करने जा रहा है, ताकि अधूरे काम को वह जल्द पूरा कर सके।
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