भोपाल। मामूली सी तेज हवा और बारिश में बिजली गुल की समस्या से शहरवासी त्रस्त हो चुके हैं। हर कभी बिजली गुल होना यानी ट्रिपिंग की समस्या बरकरार है। खुद ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) बिजली कंपनी के अमले को जीरो ट्रिपिंग (Zero Tripping) का टारगेट दे चुके हैं, लेकिन ये होगा कैसे, इसका कोई प्लान नहीं है। हकीकत तो ये है कि न तो इसके लिए पर्याप्त फंड है और न प्रशिक्षित अमला। रेगुलर स्टाफ भी 10 साल में 40 फीसदी कम हो चुका है। ऐसे में ये टारगेट पूरा होगा, इसमें संदेह है।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (Central Zone Electricity Distribution Company) को मौजूदा वित्तीय वर्ष में मेंटेनेंस व रिपेयरिंग के लिए 248.53 करोड़ रुपए मिले हैं। यह राशि विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के टैरिफ ऑर्डर में मंजूर की है। इसके बावजूद कंपनी के अमले सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं कर पाते। सूत्रों के मुताबिक यह राशि अमले तक नहीं पहुंच पाती। इसकी वजह यह है कि राज्य सरकार ने बिजली कंपनियों को बकाया बिल माफी, मुफ्त बिजली, सरल बिजली के नाम पर दी जाने वाली सब्सिडी ही नहीं दी। इस बार यह राशि 13726 करोड़ हो गई। यदि सरकार कंपनियों को सब्सिडी की यह राशि दे दे तो मेंटेनेंस भी हो जाए और नेशनल थर्मल पावर कार्पाेरेशन (National Thermal Power Corporation) का बकाया 4000 करोड़ का भुगतान भी हो जाए। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) ने बताया कि बिजली कंपनियों को बतौर सब्सिडी जल्द ही राशि देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गैर प्रशिक्षित कर्मचारियों के हाथ में मेंटेनेंस
हर साल मेंटेनेंस के लिए मिलने वाला वाली राशि कंपनियों तक पहुंच ही नहीं पाती। स्टाफ की कमी के कारण तय मापदंडों का उल्लंघन कर गैर प्रशिक्षित आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों को खंभों पर चढ़ाया जाता है। यह हाल तब हैं जब बिजली के इन्फ्रास्ट्रक्चर में 10 साल में 3 गुना बढ़ोतरी हुई। बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि सरकार को चाहिए कि वह रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए मिलने वाला फंड समय पर कंपनियों को दे दें तो काफी हद तक स्थिति सुधर जाएगी। इसके अलावा बिजली कंपनी का अमला मेंटेनेंस कार्य सही ढंग से कर लें तो इस समस्या से निजात मिल सकेगी।
अब सालभर होता है मेंटेनेंस कार्य
बिजली कंपनी ने मेंटेनेंस का तरीका बदलकर पिछले साल से लगातार मेंटेनेंस करना शुरू किया। लेकिन हालात जस के तस हैं। इससे पहले तक साल में दो बार.. प्री और पोस्ट मानसून मेंटेनेंस किया जाता था। इसके बावजूद यह परेशानी सामने आई। ट्रिपिंग यानी हर कभी बिजली गुल होने के लिहाज से सर्वे होता है। किस इलाके में किस फीडर पर ट्रिपिंग ज्यादा है। इसे देखा जाता है। फीडर पर काम क्या- क्या करना है। इस आधार पर तय समय के हिसाब से अमले को काम बांट दिया जाता है। इसके बावजूद ज्यादा राहत नहीं है।
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