भोपाल का गांधी मेडीकल कालिज इन दिनों इस लिए चर्चा में है के भां पे डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी में कराई जाएगी। मेडिकल एजूकेशन मिनिस्टर विश्वास सारंग की ये उम्दा पहल हेगी। बाकी भोपाल के इस गांधी मेडिकल कालिज की तवारीख (इतिहास) के बारे में आपको कुछ जानकारी देने का दिल चा रिया हेगा। इस मेडिकल कालिज की जिस बड़ी सारी 6 मंजि़ला इमारत को आप देखते हैं वो 60 बरस पेले फतेहगढ़ किले के अंदरूनी हिस्से में बनाई गई। बाकी आपको बताता चलूं के इस इमारत के बनने के पेले भोपाल में ग़ांधी मेडिकल कालिज शुरु कर दिया गया था। भोपाल में जहां आजकल पॉलिटेक्निक कालिज की 80 बरस पुरानी इमारत है वहां इस मेडिकल कालिज की इब्तिदा हुई थी।।उस वक्त मरकज़ी (केंद्रीय) मिनिस्टर रहे लालबहादुर शाश्त्री ने 13 अगस्त 1955 को इसकी इब्तिदा करी थी। इसके पेले बेच में 50 मेडिकल तालिबे इल्म (स्टूडेंट) ने दाखिला लिया था। उस वक्त वहां एनाटॉमी और फिजियोलॉजी दो डिपार्टमेंट थे। भोपाल के मशहूर डॉ. एससी सिन्हा इस मेडिकल कालिज के प्रिंसीपल थे। आपको जानकर ताज्जुब होगा के इस मेडिकल कालिज का ब्वायज होस्टल आजकल जहां जहांनुमा होटल है वहां हुआ करता था। वहीं लड़कियों का होस्टल बाणगंगा में एमएलबी कालिज के होस्टल के दो कमरों में था।
उसमें 8 लड़कियां रहती थीं। आगे चलके भोपाल में सूबे के बड़े मेडिकल कालिज की ज़रूरत महसूस की गई। लिहाज़ा आज जिस मैडिकल कालिज की इमारत को आप देखते हैं इसकी संगे बुनियाद साबिक़ मरकज़ी होम मिनिस्टर गोविन्दवल्लभ पंत ने 15 सितंबर 1956 को रखी। इस तरह गांधी मेडिकल कालिज के तौर पे एक खूबसूरत इमारत तामीर होना शुरु हुई। फतेहगढ़ किले के परकोटे के भीतर ये इमारत 7 साल में बन के तैयार हुई। इस इमारत को गांधी मेडिकल कालिज नाम दिया गया। भोत कम लोग जानते हैं कि भोपाल के गांधी मेडिकल कालिज का उदघाटन साबिक़ प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 मार्च 1963 को किया था। उस मौके पे नवाब बेगम साजिदा सुल्तान, उस वक्त के गवर्नर हरि विनायक पाटस्कर, मुख्यमंत्री बीआर मण्डलोई और हेल्थ मिनिस्टर एमपी दुबे भी मौजूद थे। पंडित नेहरू ने गांधी मेडिकल कालिज की नई बिल्डिंग का आधे घंटे तक मुआयना किया था। मेडिकल कालिज बनने से पहले नवाब हमीदुल्ला खां ने जिस घड़ी वाली लाल इमारत में रियाया के लिए अस्पताल शुरु किया था उसे उस वक्त प्रिंस ऑफ वेल्स अस्पताल कहा जाता था। वहीं नवाब सुल्तान जहां बेगम ने लेडी लिनलिथगो के नाम से लेडी अस्पताल बनवाया था। जिसे आज सुल्तानिया जनाना अस्पताल और प्रिंस ऑफ वेल्स अस्पताल को हमीदिया अस्पताल के नाम से जाना जाता है। इन दोनों अस्पतालों को गांधी मेडिकल कालिज से बावस्ता कर दिया गया। आज मेडकिल कालिज की पुरानी बिल्डिंग में हम जिसे हम केएनबी वार्ड के नाम से जानते हैं वो दरअसल कमला नेहरु वार्ड है। इस वार्ड की संगे बुनियाद 6 मार्च 1955 को नेहरू केबिनेट की हेल्थ मिनिस्टर राजकुमारी अमृत कौर ने रखी थी। जबकि मेडिकल ब्वायज होस्टल की फाउंडेशन सेरेमनी में नेपाल के महाराज बीर बिक्रम सिंह 18 नवंबर 1955 को भोपाल तशरीफ़ लाए थे। तो साब ये थी सूबे के पेले गांघी मेडिकल कालिज की दास्तां। आगे इसी तरा की जानकारी सूरमा आपको देता रेगा।
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