2 घंटे करती रहीं इंतजार, कर्मचारियों से लेकर एडीएम तक को नहीं बताई वजह
इंदौर। बालक-बालिकाओं (boys and girls) के छात्रावास (hostels) में लापरवाही और अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि कल एक और छात्रावास की बच्चियों को कलेक्टर (Collector) से मुलाकात कर अपनी आप बीती सुनानी पड़ी। 2 घंटे तक कलेक्टर कैबिन (cabin) के बाहर बैठी बच्चियों ने कर्मचारी से लेकर अधिकारियों और एडीएम तक को अपनी परेशानी नहीं बताई। किसी गंभीर मामले के खुलासे का अंदेशा लगाया जा रहा है।
अधीक्षिका हटाई गईं
अनुसूचित जनजाति विभाग की अधिकारी सुप्रिया विसेन के अनुसार कलेक्टर के निर्देश पर वह छात्रावास बच्चियों से चर्चा करने के लिए पहुंची थीं, लेकिन वहां भी बच्चियों ने कुछ भी बताने से साफ इनकार कर दिया। वॉर्डन से भी बच्चियों की परेशानी का कारण पूछा गया, लेकिन उन्होंने भी किसी भी तरह की परेशानी होने से साफ इनकार कर दिया। जांच के लिए पहुंची टीम ने तुरंत ही छात्रावास में साफ-सफाई और गंदगी को लेकर भी जांच की। उक्त छात्रावास की अधीक्षिका को हटाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। ज्ञात हो कि योगपुरुष धाम आश्रम में हुए छह बच्चों की मौत और 90 बच्चों के इंफेक्शन के बाद कलेक्टर के निर्देश पर इंदौर में स्थित सभी आश्रम, संस्थाओं द्वारा संचालित बाल गृह, हॉस्टलों की जांच अधिकारियों ने की थी। सवालिया निशान यह है कि आखिर किसी भी हॉस्टल में किसी भी अधिकारी को कोई भी परेशानी नजर क्यों नहीं आईं। अब महिला अधिकारियों की टीम इन बच्चों की भी काउंसलिंग करेगी।
चोरल के छात्रावास में नया खुलासा
अनुसूचित जाति जनजाति विभाग के छात्रावास चोरल के घटनाक्रम में नया खुलासा हुआ है। अधीक्षिका ने हॉस्टल में आने वाले पुरुष मित्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। अब इस घटनाक्रम को खुद को बचाने का प्रयास माना जा रहा है ।हालांकि कलेक्टर ने अधीक्षिका को निलंबित कर दिया है। इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने अनुसूचित जाति जनजाति विभाग की अधिकारी को भी नोटिस जारी किया है । उक्त आदमी पर एफआईआर दर्ज करा कर खुद को भी प्रताडि़त बताया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार उक्त आदमी पूर्व सरपंच रह चुका है।
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