नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे हफ्ते में एनडीए सरकार और विपक्ष के बीच बहस और तीखी नोकझोंक देखने को मिल सकती है. जहां सोमवार, 1 जुलाई को दोनों सदनों की बैठक फिर से शुरू होने वाली है. इसमें नीट पेपर लीक विवाद से लेकर अग्निपथ योजना और महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर करेंगे, जिसके बाद पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद बनीं बांसुरी स्वराज बहस करेंगी. वहीं, लोकसभा ने धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के लिए 16 घंटे आवंटित किए हैं, जो मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के साथ समाप्त होगा. जबकि, राज्यसभा सदन में बहस के लिए 21 घंटे आवंटित किए गए हैं और जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार को जवाब देने की संभावना है.
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ली जाने वाली NEET-UG परीक्षा 2024 में पेपर लीक समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर देशभर में आक्रोश है. जहांसंसद सत्र के पहले हफ़्ते में विपक्षी दलों ने NEET-UG परीक्षा लीक मामले को लेकर हंगामा किया. शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कई बार कार्यवाही स्थगित हुई , कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने NEET-UG विवाद पर बहस की मांग की.
इस दौरान विपक्ष ने NEET-UG विवाद पर बहस की मांग करते हुए अपने स्थगन नोटिस को स्वीकार करने के लिए दबाव डाला. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने NEET-UG मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन स्पीकर ने यह कहते हुए अनुरोध को खारिज कर दिया कि जब सदन को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लेना है तो किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा का कोई प्रावधान नहीं है.
इस दौरान राज्यसभा में भी बहस के दौरान जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी साथी सदस्यों के साथ सदन के वेल में आ गए. उप राष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें खड़गे के कृत्य से दुख पहुंचा है. हालांकि, बाद में विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. उधर, खरगे ने कहा कि, वे सरकार का ध्यान उन लाखों छात्रों की चिंताओं की ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो परीक्षा में शामिल हुए थे और अब सीबीआई पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही है.
इस पर स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि राज्यसभा में सदन के नेता के रूप में अपनी पारी की शुरुआत खुशियों के साथ होगी, लेकिन जिस तरह से लोकतांत्रिक परंपराओं को दांव पर लगाया जा रहा है. साथ ही सदन को बंधक बनाने की कोशिश की जा रही है.
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