नई दिल्ली (New Dehli) । चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर सफलतापूर्वक लैंडिंग (landing) कर दुनिया में सफलता का झंडा (flag) गाड़ने वाले वैज्ञानिकों की टीम में खरगोन (Khargone) जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर छोटे से गांव गोगावां के वैज्ञानिक नीरज सत्य का खास योगदान रहा.
चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर दुनिया में सफलता का झंडा गाड़ने वाले वैज्ञानिकों की टीम में खरगोन जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर छोटे से गांव गोगावां के वैज्ञानिक नीरज सत्य का खास योगदान रहा. पहले से पांचवी तक गुड़गांव के प्राथमिक विद्यालय और फिर सनावद के नवोदय विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाले नीरज ने बचपन से संघर्ष किया है. उसे दौर में नीरज सत्य ने पढ़ाई की जब घंटे बिजली गुल रहा करते थे, सड़क बेहाल थी.
आवागमन के चंद साधन थे. नवोदय में 12वीं तक पढ़ने के बाद भोपाल में शिक्षा ली. आरकेडीएफ भोपाल से 2000 की बैच में पासआउट नीरज सत्य थर्मल डिजाइनर के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे. मिशन में उनका काम स्पेसक्राफ्ट सिस्टम का तापमान मेंटेन करने का था, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. उन्होंने टेस्ट सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की और थर्मल प्रोजेक्ट को पहले की अपेक्षा और बेहतर किया. नीरज में बचपन से ही स्पेस, चंद्रमा, सूरज और ब्रह्मांड को जानने की जिज्ञासा रही है.
चार-चार महीने परिवार से बात नहीं
परिजनों ने बताया वैज्ञानिक नीरज सत्य ने कड़ा परिश्रम किया है. इसरो में भी वे तीनों अभियान में 14 से 15 घंटे लैब और ऑफिस में काम करते थे. मां ललिता देवी का कहना है चार-चार महीने बेटे से बात नहीं हो पाती है लेकिन भारत माता के लिए बेटे ने जो किया वो अभूतपूर्व है.
वैज्ञानिक नीरज सत्य की पत्नी प्रतीक्षा ने भी इस अभियान के लिए हमेशा प्रेरणा दी और घर की जिम्मेदारियां को बखूबी निभाया. उनके बड़े भाई अजय और धीरज ने हमेशा प्रोत्साहित किया. भाई अजय ने बताया नीरज को स्वर्गीय पिता विश्वनाथ सत्य ने साइंस के क्षेत्र में जाने के लिए मोटिवेट किया.
नीरज सत्य अपनी टीम के साथ
वैज्ञानिक नीरज सत्य के बचपन के दोस्त भूपेंद्र गुप्ता का कहना है नीरज की और चंद्रयान की सफलता पर पूरे देश को गर्व है. नीरज मेरा बाल सखा है और उसे दिन हमने काफी खुशी महसूस की. उसके साथ हमारे गांव का नाम भी रोशन हुआ.
नीरज पांचवी तक मेरे साथ पढ़ा इसके बाद उसका नवोदय विद्यालय सनावद में चयन हो गया उसकी शुरुआती दौर काफी संघर्ष में रहा. अंकल ने उसकी पढ़ाई पर बहुत ध्यान दिया शुरू से ही उसका विज्ञान साइंस पर बहुत रुझान था. दो बार असफल रहने पर उसने कहा हम दो बार असफल रहे लेकिन हमारा प्रयास जारी है और हम तीसरी बार जरुर सफल होंगे. हमने पूरे परिवार ने उसकी सफलता को दिखा और जब चंद्रयान-3 सफल हुआ तो हमने टीवी पर देखा उसके चेहरे पर सफलता की खुशी झलक रही थी.
नीरज की मां ललिता देवी का कहना है चंद्रयान-3 की सफलता के दिन उसके सफल होते देख बहुत खुशी हुई उसने बचपन में कहा था एक दिन ऐसा काम करूंगा देश का नाम ऊंचा हो. अपने देश के लिए किया और इसरो में अच्छी पोजीशन बना कर रखी मैं सभी को बधाई देना चाहूंगी.
नीरज के बड़े भाई अजय का कहना है कि पहले मैं इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहता हूं और धन्यवाद कहना चाहता हूं. क्योंकि उनकी मेहनत से ही हम चंद्रयान को चांद तक सफलतापूर्वक पहुंच पाए हैं. नीरज का पढ़ाई के प्रति शुरू से ही रुझान था. स्पेस के प्रति उसका आकर्षण बहुत अच्छा था. छोटे से गांव गोगावां से पांचवी तक की पढ़ाई की. उसके बाद नवोदय विद्यालय सनावद से हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई की फिर आरकेडीएस भोपाल से बीई की.
दिल्ली से एमटेक करने के बाद इसरो ज्वाइन किया. इसरो में अभी उन्हें 19 वर्ष हो गए हैं. चंद्रयान फर्स्ट सेकंड और थर्ड तीनों में उसने पार्टिसिपेट किया है और तीनों में प्रोजेक्ट मैनेजर रहे हैं. पूरी दुनिया गवर्नमेंट है और हमें बड़ा गौरव महसूस हो रहा है कि वो इस मिशन का हिस्सा रहे हैं.
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