नई दिल्ली। भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) (Indian Institute of Science Education and Research (IISER)) कोलकाता के अनुसंधानकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि नीम के पेड़ की छाल से निकलने वाला अर्क (neem extract) कोविड-19 (COVID-19) के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस (corona virus) के प्रसार को कम करने में मदद कर सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत के लिए स्वदेशी नीम के पेड़ (indigenous neem tree) का उपयोग इसके परजीवी, जीवाणु और विषाणु रोधी गुणों की वजह से हजारों वर्षों से किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि छाल के अर्क ने मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोगों तथा कई अन्य बीमारियों के इलाज में मदद की है। हाल में पत्रिका ‘वायरोलॉजी’ में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन से पता चलता है कि नीम की छाल के घटक विषाणु संबंधी प्रोटीन की एक विस्तृत श्रृंखला को लक्षित कर सकते हैं, जिससे कोरोना वायरस सहित इसके उभरते स्वरूपों के खिलाफ विषाणु रोधी तत्व के रूप में इसकी क्षमता का पता चलता है।
अमेरिका के कोलोराडो स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं अध्ययन की सह-लेखक मारिया नागेल ने कहा, ‘‘इस अध्ययन का लक्ष्य नीम आधारित दवा विकसित करना है जो किसी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर बीमारी के गंभीर जोखिम को कम कर सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि वैज्ञानिकों को हर बार कोरोना वायरस का नया स्वरूप सामने आने पर लगातार नए उपचार विकसित नहीं करने पड़ेंगे।’’ ठीक उसी तरह जैसे लोग गले में खराश के लिए पेनिसिलिन लेते हैं, अनुसंधानकर्ता कोविड-19 के लिए नीम-आधारित दवा लेने की कल्पना करते हैं, जिससे कि वे अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के डर के बिना अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू कर सकें।
वैज्ञानिकों ने अपनी प्रयोगशालाओं में छाल के अर्क के कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभाव की जांच की। आईआईएसईआर कोलकाता के अनुसंधानकर्ताओं ने पशु मॉडल में अर्क का परीक्षण किया जिससे इसमें कोरोना वायरस के खिलाफ विषाणु रोधी गुण मिले। स्पाइक प्रोटीन का उपयोग कोरोना वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और उन्हें संक्रमित करने के लिए करता है।
कोलोराडो विश्वविद्यालय में नागेल की प्रयोगशाला ने सार्स कोव-2 मानव फेफड़ों की कोशिकाओं में नीम की छाल के अर्क का परीक्षण किया। नीम की छाल का अर्क संक्रमण के लिए एक निवारक दवा के रूप में प्रभावी साबित हुआ और संक्रमण के बाद वायरस की प्रतिकृति तथा प्रसार में भी कमी आई।
नागेल ने कहा, “हमारे अनुसंधान में अगला कदम नीम की छाल के अर्क में विषाणु रोधी विशिष्ट घटकों की पहचान करना है क्योंकि ये घटक सार्स-कोव-2 के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ते हैं। हम मानते हैं कि यह स्पाइक उत्परिवर्तन के साथ उभरते स्वरूपों पर प्रभावी होगा।” उन्होंने कहा, “इसके बाद हम कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के वास्ते विषाणु रोधी दवा की खुराक का निर्धारण करेंगे।”
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