नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (Former President of Congress) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि दुनिया भर के लोगों को (To the People of the World) सुनने का तरीका (Way to Listen) खोजने की जरूरत है (Need to Find) । वे कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल में (In Cambridge Judge Business School) एमबीए के छात्रों (MBA Students) से ’21वीं सदी में सुनना सीखना’ (‘Learning to Listen in the 21st Century’) विषय पर बात कर रहे थे (Were Talking about) । उन्होंने कहा, सुनने की कला जब लगातार और लगन से की जाती है तो बहुत शक्तिशाली होती है।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका सहित लोकतांत्रिक देशों में हाल के दशकों में विनिर्माण में गिरावट आई है, क्योंकि उत्पादन चीन में स्थानांतरित हो गया है, जिसने बड़े पैमाने पर असमानता और असंतोष पैदा किया है, जिस पर तत्काल ध्यान देने और संवाद की आवश्यकता है।
उन्होंने एमबीए के छात्रों से कहा, हम ऐसे ग्रह का खर्च नहीं उठा सकते, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण नहीं करता है। इसलिए हमें इस बारे में नई सोच की जरूरत है कि आप एक उत्पीड़क माहौल की तुलना में लोकतांत्रिक माहौल में कैसे उत्पादन करते हैं।
विश्वविद्यालय में प्रो-वाइस-चांसलर और कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल में रणनीति और नीति के प्रोफेसर कमल मुनीर ने राहुल को एमबीए के छात्रों से मिलवाया। गांधी के व्याख्यान को तीन भागों में विभाजित किया गया था, जो ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की रूपरेखा के साथ शुरू हुआ।
व्याख्यान का दूसरा भाग द्वितीय विश्व युद्ध और विशेष रूप से 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से अमेरिका और चीन के दो अलग-अलग दृष्टिकोण पर केंद्रित था। उनके व्याख्यान का अंतिम पहलू वैश्विक वार्तालाप के लिए अनिवार्यता के विषय के आसपास था। उन्होंने कहा ‘यात्रा’ एक यात्रा है या तीर्थयात्रा, जिसमें लोग दूसरों को सुनने के लिए खुद चुप रहते हैं।
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