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    आपदा मोचन में NDRF की रही है महत्वपूर्ण भूमिका, अब तक 7,02,927 से अधिक लोगों की बचा चुके जान

  • February 09, 2021

    नई दिल्ली । उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा प्रभावित तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है और गुमशुदा लोगों की तलाश की जा रही है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की पांच टीमें अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर लगातार इस खोज अभियान में काम कर रही हैं। ऐसे में एनडीआरएफ के बारे में हर कोई जानने को उत्सुक है।


    क्या है एनडीआरएफ
    एनडीआरएफ को जानने और उनके कार्यशैली समझने के लिए एनडीआरएफ (NDRF) के उप महानिरीक्षक मनोज कुमार यादव ने बताया कि एनडीआरएफ की स्थापना आपदा प्रबंधन (DM) अधिनियम 2005 के अध्याय VIII, धारा 44 के अनुसार वर्ष 2006 में एक बहु कुशल, उच्च पेशेवर बल जो सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने/ शमन करने में निपुण हो, के रूप में हुई, जिससे आपदाओं का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जा सके। इसका गठन शुरुआत में 08 वाहिनियों (BSF, CRPF, ITBP और CISF) की 02-02 वाहिनी के साथ किया गया ।

    एनडीआरएफ की 12 ऑपरेशनल बटालियन है
    उप महानिरीक्षक के अनुसार इस समय एनडीआरएफ के 12 ऑपरेशनल बटालियन देश के अलग अलग क्षेत्रों जैसे, गुवाहाटी (असम), कोलकाता (प. बंगाल), मुंडली (ओडिशा), अराकोनम (तमिलनाडु), पुणे (महाराष्ट्र), वडोदरा (गुजरात), गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), भटिंडा (पंजाब), पटना (बिहार), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), वाराणसी (उत्तर प्रदेश) और इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में स्थित है। यह जरूरत पड़ने पर आपदा प्रभावित क्षेत्र में मदद पहुंचाती है । इसके अलावा तुरंत कार्रवाई के लिए 28 आरआरसी (क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र) भी देश के विभिन्न कोनों में स्थापित है। देश में बढ़ती आपदा की घटनाओं को देखते हुए हाल ही में भारत सरकार ने चार अतिरिक्त बटालियनों को एनडीआरएफ में सम्मिलित करने की भी मंजूरी दी है । प्रत्येक बटालियन में 1149 जवान होते है। हर बटालियन में खोज एंव बचाव, सीबीआरएन विशेषज्ञ के साथ इंजीनियर्स, टेक्नीशियन, इलेक्ट्रिशियन, डॉग स्क्वॉड और मेडिकल अधिकारी शामिल होते हैं।

    एनडीआरएफ के पास यह सब होता है
    एनडीआरएफ के जवान पूरी तरह से सीएसएसआर (संकुचित संरचना खोज और बचाव), एमएफआर (मेडिकल फर्स्ट रिस्पांस), सीबीआरएन, बाढ़ (फ्लड), वाटर रेस्क्यू, पर्वतीय इलाकों में खोज और बचाव कार्यों में प्रशिक्षित और सक्षम हैं। एनडीआरएफ ने कई आपदाओं में अपनी स्पेशल ट्रेनिंग और तत्परता से लाखों लोगो की जान बचाई है।

    अबतक आपदा में फंसे 7 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
    अपनी स्थापना के बाद से अब तक बल ने देश और विदेश में आई विभिन्न आपदाओं में कुल 1,34,413 से अधिक लोगों की जान बचायी व आपदा में फंसे 7,02,927 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। एनडीआरएफ ने देश के साथ ही विदेशों में आई आपदा में भी राहत कार्यो को अंजाम दिया है। मार्च 2011 में जापान में आई सुनामी और अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप में भी एनडीआरएफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथा वहा की सरकारों और नागरिकों ने एनडीआरएफ के काम को सराहा।

    एनडीआरएफ के खास ऑपेरशन
    उप महानिरीक्षक के अनुसार एनडीआरएफ ने अब तक आपदा मोचक की भूमिका को निभाते हुए कई अभियान सम्पन्न किए, जिनमे मुख्य है, बिहार में कोसी बाढ़ (2008), लेह में क्लाउड बर्स्ट (2010) , मायापुरी विकिरण, नई दिल्ली (2010), उत्तराखंड ऑपरेशन (2013), जम्मू कश्मीर बाढ़ (2014), चेन्नई अर्बन फ्लड्स (2015), केरल बाढ़ (2018), कुंभ मेला प्रयागराज (2019), चक्रवात एम्फैन, निसर्ग, फानी, विशाखापट्टनम में गैस रिसाव की घटना (2020) , भिवंडी, महाराष्ट्र में बिल्डिंग ढहना (2020), हाल ही में आये चक्रवात निवार एंव चक्रवात बुरेवि तथा देश के अलग अलग जगहों में आने वाली बाढ़ महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त कोरोना वायरस महामारी से लड़ने में भी एनडीआरएफ ने अहम् भूमिका निभाई है।

    समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम अभियान
    उन्होंने बताया कि आपदा की घटनाओं में ऑपरेशन करने के अलावा एनडीआरएफ समाज के हर तबके को आपदा से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए भी काम कर रही है। एनडीआरएफ जवान स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कर्मचारी, पुलिस, स्थानीय लोग, प्रशासन के आदि लोगों के बीच जन जागरूकता कार्यक्रम चलाकर आपदा से लड़ने के गुर सिखा रहे है, जिससे किसी भी आपातकाल स्थिति में लोग मदद पहुंचने तक खुद और बाकी फंसे लोगों को बचा सकें। एनडीआरएफ आपदा की हर स्थिति से निपटने के लिए हमेशा हर समय तैयार रहती है और अपने आदर्श वाक्य ‘आपदा सेवा सदैव सर्वत्र’ की लिए कार्यरत है।

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