नई दिल्ली। संसद के सोमवार से शुरू होने वाले शीत सत्र से पहले रविवार को हुई एनडीए की बैठक में सरकार को नीतिगत मामलों के साथ सामाजिक न्याय के मामले में भी सहयोगियों की नसीहत सुनने को मिली।
शीतसत्र से पहले नीतिगत मामलों में सहयोगियों ने सरकार को किया असहज
नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने जहां नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को वापस लेने की मांग की वहीं जदयू, अपना दल, आरपीआई जैसे दल जातिगत जनगणना के मामले में सरकार से स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की।
पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अनुपस्थिति में शीतकालीन सत्र पर रणनीति बनाने के लिए हुई एनडीए की बैठक के बाद एनपीपी की नेता अगाथा संगमा ने कहा, मैंने सीएए को वापस लेने की मांग रखी है। इस कानून के कारण पूर्वोत्तर में लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के पास नागरिकता से संबंधित ठोस दस्तावेज नहीं हैं। इसी कारण असम में जनजाति वर्ग के कई लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। संगमा ने कहा, पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं का आदर किया जाना चाहिए।
वहीं जदयू, अपना दल और आरपीआई ने सरकार से जातिगत जनगणना मामले में स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की। अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा, सरकार नीतिगत स्तर पर इसकी विरोधी नहीं है। अगर कुछ समस्या है तो इस मामले में एनडीए के घटक दलों की विशेष बैठक बुलाई जानी चाहिए।
इस मुद्दे पर देश को सरकार के स्पष्ट रुख का पता चलना चाहिए। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इसी तरह की मांग की। बैठक की अध्यक्षता कर रहे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीएए की वापसी पर तो कुछ नहीं कहा, मगर जातिगत जनगणना कराने संबंधी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया।
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