कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले पर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि जिस जगह डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की गई, वहां पर अचानक मरम्मत का काम किया गया है। इससे ये आशंका है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए वहां मरम्मत कार्य किया गया। साथ ही एनसीडब्ल्यू ने कहा कि पुलिस को तुरंत अपराध स्थल को सील कर देना चाहिए था।
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच समिति ने इस घटना के संबंध में अपनी रिपोर्ट में सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और जांच में खामियों का खुलासा किया है। एनसीडब्ल्यू ने बयान जारी कर कहा, ‘राष्ट्रीय महिला आयोग ने कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के कथित दुष्कर्म और हत्या से जुड़ी मीडिया में आई उस दुखद घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग स्थिति की गंभीरता से चिंतित है और उसने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी है।’
इस मामले में आयोग ने तब हस्तक्षेप किया, जब उसने एक मीडिया रिपोर्ट को पढ़ा, जिसका शीर्ष था- कोलकाता दुष्कर्म-हत्या: अस्पताल के अधिकारी ने ट्रेनी डॉक्टर के परिवार को बताया कि उसने आत्महत्या की। यह खबर सूत्रों के हवाले से दी गई थी। इससे मामले में और चौंकाने वाले सवाल खड़े हो गए। कोलकाता की घटना के संबंध में मीडिया में जारी हुई खबरों के आधार पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले की जांच शुरू की थी। आयोग ने 10 अगस्त को कोलकाता के पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई और घटना की गहन जांच की मांग की थी। एनसीडब्ल्यू ने इस घटना की गहनता से जांच करने के लिए दो सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसमें एनसीडब्ल्यू सदस्य डेलिना खोंगडुप और पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की वकील सोमा चौधरी शामिल हैं।
12 अगस्त को समिति कोलकाता पहुंची और घटना के आसपास की परिस्थितियों की कड़ाई से जांच की। एनसीडब्ल्यू को मामले की जांच के दौरान पता चला कि घटना के दौरान वहां कोई सुरक्षा गार्ड मौजूद नहीं था, जिससे रात्रि पाली के दौरान ड्यूटी पर आए चिकित्सक, इंटर्न और नर्सों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अपराध स्थल पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ किए जाने की आशंका है। उसने कहा कि जिस स्थान पर महिला चिकित्सक के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया गया था, वहां अचानक मरम्मत कार्य किया गया।
एनसीडब्ल्यू ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस को अपराध स्थल को तुरंत सील कर देना चाहिए था।आयोग ने कहा कि अस्पताल में महिला चिकित्सा कर्मचारियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव था। इसमें खराब रखरखाव वाले शौचालय, रोशनी की अपर्याप्त व्यवस्था और सुरक्षा उपायों का भी पूर्ण अभाव था। महिला डॉक्टर का शव उत्तरी कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल के अंदर से मिला था। शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी हत्या से पहले यौन शोषण की पुष्टि हुई। इसके बाद एक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया गया था।
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