नई दिल्ली (New Delhi) । केंद्र में एनडीए (NDA) की नई सरकार (New government) बनते ही महाराष्ट्र (Maharashtra) में दो घटक दल भाजपा (BJP) से नाराज हो गए हैं। पहले उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit pawar) की पार्टी ने नाराजगी जताई और अपने किसी भी सांसद को मंत्री पद की शपथ लेने नहीं दिया और अब शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाली शिवसेना ने नाराजगी जाहिर की है। शिवसेना (शिंदे गुट) की शिकायत है कि उसके सात सांसद होने के बावजूद सिर्फ एक राज्यमंत्री का पद दिया गया, जबकि उनसे कम सांसदों वाले दलों को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया।
शिवसेना के चीफ व्हिप श्रीरंग बारणे ने इंडिया टुडे से कहा, “हम उम्मीद कर रहे थे कि हमें भी कैबिनेट पद दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चिराग पासवान के पांच सांसद हैं, जीतनराम मांझी इकलौते सांसद हैं। एचडी कुमारस्वामी की पार्टी के भी दो ही सांसद हैं। फिर भी उन लोगों को कैबिनेट मंत्री पद दिया गया, जबकि हमारे पास तो सात सांसद थे फिर राज्य मंत्री का एक ही पद क्यों दिया गया।”
श्रीरंग बारणे ने दावा किया कि उनकी पार्टी शिवसेना को उसकी स्ट्राइक रेट देखते हुए कैबिनेट मंत्री दिया जाना चाहिए था। उन्होंने पार्टी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोटे से सिर्फ एक राज्य मंत्री पद दिए जाने पर नाराजगी जताई। बारणे इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने सहयोगी अजित पवार की एनसीपी का भी उल्लेख किया और कहा कि जो शख्स परिवार से बगावत कर आपके साथ आया, उसे भी कम से कम एक कैबिनेट पद मिलना चाहिए था। उन्होंने भाजपा सांसद उदयनराजे भोसल को भी मंत्री पद नहीं देने पर नाखुशी जताई।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार देश की बागडोर संभाली। उनके साथ 71 अन्य सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। एनसीपी को एक राज्यमंत्री पद ऑफर किया गया था लेकिन अजित पवार ने उसे ठुकरा दिया। एनसीपी का तर्क था कि प्रफुल्ल पटेल पहले केंद्र में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, इसलिए वह राज्य मंत्री का पद स्वीकार नहीं करेंगे। यह एक तरह से डिमोशन होगा। इसके अगले ही दिन शिंदे गुट ने भी अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है।
दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम नेता जीतनराम मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि वह अपनी पार्टी के इकलौते सांसद हैं। इसी तरह कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि उनकी पार्टी के दो ही सांसद हैं। चिराग पासवान के पास पांच हरी सांसद हैं औऱ वे युवा हैं, फिर भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। शिवसेना को यह बात अटपटी लग रही है।
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