नई दिल्ली (New Delhi) । एडुटेक कंपनी बायजू (Byju’s) को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने राइट्स इश्यू आगे बढ़ाने पर विचार करने के लिए कहा है। एनसीएलटी (NCLT) की इस सिफारिश को राइट्स इश्यू के जरिए फंड जुटाने पर रोक के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। अदालत की यह सिफारिश भर है। मतलब ये कि अनिवार्य नहीं है। बता दें कि बायजू के राइट्स इश्यू (rights issue) की आखिरी तारीख 28 फरवरी थी। ऐसे में अब यह कम उम्मीद रह गई है कि बायजू अपने इश्यू को आगे बढ़ाने पर विचार करेगी।
क्या है मामला
दरअसल, बायजू के निवेशकों प्रोसस एनवी, पीक एक्सवी पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक और सोफिना एसए ने सामूहिक रूप से राइट्स इश्यू के खिलाफ पिछले हफ्ते एनसीएलटी में एक याचिका दायर की थी। याचिका में कंपनी के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का हवाला देते हुए राइट्स इश्यू पर रोक की मांग की गई। इसके साथ ही बायजू के निवेशकों ने कंपनी पर अमेरिका में एक अस्पष्ट हेज फंड में 53.3 करोड़ डॉलर की हेराफेरी करने के आरोप लगाए।
एनसीएलटी ने निवेशकों की इस याचिका पर बायजू को तीन दिन के भीतर लिखित जवाब देने को कहा और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। हालांकि, बायजू ने एनसीएलटी की बेंगलुरु पीठ में अपने शेयरधारकों द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
क्या हैं शेयरधारकों के आरोप
बता दें कि कंपनी के कुछ शेयरधारकों ने मौजूदा प्रबंधन को कुप्रबंधन और कदाचार के जरिये उद्यम मूल्यांकन में भारी गिरावट के लिए जिम्मेदार बताया है। इन निवेशकों ने दलील दी कि राइट्स इश्यू केवल तभी लाया जा सकता है जब कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी बढ़ाई जाए और मौजूदा शेयरधारक आवेदन कर नए शेयर प्राप्त करें।
कंपनी के कुछ शेयरधारकों ने 23 फरवरी को एक असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई थी जिसमें बायजू के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी बायजू रवींद्रन और उनके परिवार को निदेशक मंडल से हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। हालांकि, रवींद्रन ने इस बैठक को अमान्य बताते हुए कहा था कि ईजीएम का निर्धारित कोटा नहीं पूरा किया गया था।
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