नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का शिकंजा रिया और उनके भाई शौविक चक्रवर्ती पर कसता जा रहा है। रिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। आज यानि मंगलवार को लगातार तीसरे दिन रिया से थोड़ी देर में एनसीबी पूछताछ करेगा। रिया से भाई शौविक चक्रवर्ती और सैमुअल मिरांडा को सामने बिठाकर पूछताछ की जा सकती है। आज का दिन रिया के लिए बेहद अहम होने वाला है। रिया एक तरफ खुद आरोपों से घिरी हैं, सीबीआई से लेकर ED के सवालों का जवाब देने के बाद अब NCB का सामना कर रही हैं लेकिन उसके तेवर आक्रामक बने हैं।
शौविक जहां नौ सितंबर तक के लिए एनसीबी की हिरासत में हैं. वहीं इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है. दरअसल, रिया ने सोमवार को सुशांत की बहनों प्रियंका सिंह और मीतू सिंह और दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर तरुण कुमार के खिलाफ बांद्रा थाने में एफआईआर दर्ज की है. बांद्रा पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने, धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश रचने का केस दर्ज किया है. रिया ने अपनी शिकायत में लिखा था कि सुशांत सिंह की बहन ने डॉक्टर तरुण कुमार से फ़र्ज़ी प्रिस्क्रिप्शन बनवाया था।
रिया की शिकायत के अनुसार, ‘‘राजपूत ने आठ जून, 2020 को मुझे फोन के वो संदेश दिखाए जिनमें उनके और उनकी बहन प्रियंका के बीच बातचीत हुई है और प्रियंका ने उन्हें दवाओं की एक सूची भेजी है. मैंने सुशांत को बताया कि उन्हें वहीं दवाएं लेने चाहिए जो डॉक्टरों ने उन्हें बता रखी हैं और जो उनका पहले से इलाज कर रहे हैं. रिया ने कहा, ‘‘हालांकि वो (राजपूत) मुझसे सहमत नहीं थे और उन्होंने कहा कि केवल वो ही दवाएं लेंगे जो उनकी बहन कह रही हैं।
रिया की इस FIR पर सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने रिएक्ट किया है. श्वेता ने ट्वीट कर लिखा- कोई भी चीज हमें तोड़ने वाली नहीं है, एक झूठी FIR तो बिल्कुल भी नहीं. रिया चक्रवर्ती ख़ुद इस मामले में संदिग्ध हैं और सीबीआई इस मामले की जाँच कर रही है. सीबीआई के अलावा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी इस मामले में ड्रग्स की ख़रीदारी, उसकी लेनदेन और सेवन से जुड़े मामलों की जांच कर रही है।
अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती देर रात एक बजे मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन से बाहर निकली। करीब 6 घंटे वो थाने के अंदर रहीं. 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत मुंबई स्थित अपने घर पर मृत पाए गए थे. सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया और फिर बिहार सरकार की सिफ़ारिश पर इसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और कोर्ट ने मामले की जाँच सीबीआई से कराने के सरकार के फ़ैसले को सही ठहराया।
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