नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने बुधवार (1 नवंबर 2023) को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस मिसाइल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. नौसेना ने बताया, ब्रह्मोस मिसाइल को जिस टारगेट को हिट करने के लिए लॉन्च किया गया था उसने उस टारगेट को सफलतापूर्वक हिट किया.
नेवी ने बताया कि वह भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए खुद को तैयार कर रही है. उन्होंने कहा, इससे पहले भी नौसेना ने मल्टी पर्पज ब्रह्मोस मिसाइल को लॉन्च किया था. नेवी के मुताबिक आर-क्लास विध्वंसक और उसके शक्तिशाली हथियार, दोनों स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और समुद्र में भारतीय नौसेना की मारक क्षमता के शानदार प्रतीक हैं.
An #IndianNavy destroyer of @IN_EasternFleet carried out successful firing of #BrahMos missile in the #BayofBengal.
The missile achieved all mission objectives.@DefenceMinIndia @SpokespersonMoD @IndiannavyMedia pic.twitter.com/MUzNdvuft1— SpokespersonNavy (@indiannavy) November 1, 2023
क्या है ब्रह्मोस मिसाइल?
भारतीय रक्षा विभाग की मानें तो ब्रह्मोस मिसाइल भारत रूस मिसाइल का संयुक्त उद्यम है. इस मिसाइल को पनडुब्बियों, युद्ध पोत, प्लेन और जमीन से 2.8 मैक की गति या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना गति से तेज लॉन्च किया जा सकता है. भारत अपनी इस उत्कृष्ट मिसाइल का उत्पादन बड़े पैमाने पर कर रहा है. इसके पीछे का उद्देश्य इस मिसाइल को निर्यात करने का है.
एक तरफ जहां नेवी ने ब्रह्मोस मिसाइल के एक नये वर्जन को लॉन्च किया तो वहीं दूसरी ओर एक दिन पहले नौसेना का इल्यूशिन -38 सी ड्रैगन नामक लंबी दूरी के इस युद्धपोत ने 46 सालों की अपनी गौरवशाली सेवा के बाद मंगलवार को विदाई ली.
अधिकारियों के अनुसार, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, आईएल -38 स्क्वाड्रन के वरिष्ठ अधिकारी और सैनिक और अन्य गणमान्य व्यक्ति अपने परिवार के साथ इस मौके पर मौजूद रहे. एक अधिकारी के अनुसार, आईएनएएस 315 को एक अक्टूबर, 1977 को आईएल 38 के साथ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था.
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