नई दिल्ली: भारतीय नौसेना (Indian Navy) को मंगलवार को इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन 316 (INAS 316) के रूप में नई ताकत मिल गई है. इसे आईएनएएस 316 के रूप में जाना जाता है. मंगलवार को गोवा के दबोलिम में मौजूद आईएनएस हंसा (INS Hansa) में इसे तैनाती दी गई है. इस दौरान चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल आर हरि कुमार (Admiral R Hari Kumar) की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया गया है. इस स्क्वाड्रन को बेहद खतरनाक और अपने काम में माहिर माना जाता है. नौसेना में शामिल होने वाली यह दूसरी ऐसी स्क्वाड्रन है.
मंगलवार को आईएनएएस को नौसेना में शामिल करने के दौरान कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार ने कहा आज की गतिशील और जटिल सुरक्षा स्थिति में इस स्क्वाड्रन की परिचालन क्षमता हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने की हमारी क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी.
भारतीय नौसेना में मंगलवार को शामिल हुई आईएनएएस 316 स्क्वाड्रन प्रमुख रूप से हवाई स्तर पर काम करती है. यह सशक्त हवाई जहाजों के जरिये दुश्मन की टोह लेकर समुद्र में मौजूद नौसैनिकों को सूचित करती है. इसके साथ ही इसके विमानों में खास तौर पर उपकरण और मिसाइलें भी लगी होती हैं.
जानकारी के अनुसार आईएनएएस 316 स्क्वाड्रन के पास पी-81 मल्टी रोल लॉन्ग रेंज मैरिटाइम रिकॉग्निसेंस एंड एंटी सबमरीन वारफेयर (LRMRASW) हवाई जहाज है. इसे अमेरिका की बोइंग कंपनी ने बनाया है. इस हवाई जहाज में दो इंजन हैं. यह हवाई जहाज आसमान से समुद्री जहाजों और सबमरीन पर हमला करने में सक्षत होते हैं.
गोवा के दबोलिम में मंगलवार को आईएनएस हंसा में शामिल हुई इस स्क्वाड्रन में चार विमान तैनात किए गए जाएंगे. इनके जरिये नौसेना को आसमान के जरिये समुद्री सीमा क्षेत्र की निगरानी करने में मदद मिलेगी. इस स्क्वाड्रन का पहला बैच 2013 में 8 विमानों के साथ आईएनएस राजाली में तैनात किया गया था.
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