नई दिल्ली (New Delhi)। शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) की शुरूआत रविवार से हो रही है। शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) 15 अक्टूबर से शुरु होकर 24 अक्टूबर तक रहेगा। भगवती का आगमन हाथी (Bhagwati’s arrival elephant) पर होगा, जो अच्छा संकेत है। हालांकि, भगवती का गमन मुर्गे से हो रहा है। जो विकलता का प्रतीक है। पंडित सूरज भारद्वाज कहते हैं कि शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) के नौ दिन के दौरान मां के नौ स्वरूपों (Nine forms of mother) शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। पहले दिन घटस्थापना (Ghatasthapana) होती है और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। सिद्धि और साधना की दृष्टि से देखा जाए तो शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। शारदीय नवरात्रि में जातक आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। मां के भक्त इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। नवरात्रि के 9 वें दिन कन्या पूजन की जाती है और उसके बाद उपवास खोला जाता है। शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है।
शक्ति उपासना के तौर पर माता की पूजा :
नवरात्र में शक्ति उपासना के तौर पर माता दुर्गा की उपासना की जाती है। महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती के रूप में साधक अपने विभिन्न इष्ट के रूप में माता की पूजा अर्चना करते हैं। माता काली की पूजा भी साधक इस समय बहुत तेज कर देते हैं ताकि तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त हो सकें। मां बंगलामुखी उपासना की जाती है। कई लोग सफलता की प्राप्ति हेतु इस समय बगलामुखी अनुष्ठान विधिवत करवाते हैं। इन्हीं दिनों में साबर मंत्र की सिद्धि भी की जाती है। वहीं अष्टमी की रात्रि में दुर्गासप्तशती के प्रत्येक मंत्र को विधिवत सिद्ध किया जाता है। सप्तश्लोकी दुर्गा के पाठ का 108 बार अष्टमी की रात्रि में पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। त्रिक मंत्रों में ग्रहों के बीज मंत्र के तांत्रिक प्रयोग भी होते हैं। नवग्रहों की लकड़ियों से हवन करके नवों ग्रहों को प्रसन्न किया जाता है। महामृत्युंजय मंत्र की साधना भी की जाती है। इस मंत्र के साथ साथ लघु मृत्युंजय मंत्र की साधना भी की जाती है।
ऐसे करें कलश स्थापना :
नवरात्रि के पहले दिन सुबह में स्नान कर लें और मां दुर्गा के नाम नौ दिन के लिए अखंड दीपक जलाएं। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डाल लें और उसमें जौ के बीज बो दें। फिर उसके बाद तांबे के लोटे या मिट्टी की कलश पर रोली से स्वास्तिक बना दें और कलश के ऊपरी हिस्से यानी कंठ वाले भाग में मौली बांध दें। अब कलश में गंगाजल मिलाकर कुछ बूंदें गंगाजल को मिलाएं, फिर उस पर रुपया, दूर्वा, सुपारी और चावल रख दें। इसके बाद कलश में पंचपल्लव या आम के पांच पत्ते लगा डाल दें और नारियल को लाल कपड़ा लपेटकर उस पर भी मौली बांध दें। अब कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थापना के बाद फिर मां भगवती को प्रणाम करते हुए अपने व्रत को आरम्भ करें ।
कलश स्थापन मुहूर्त :
कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त मध्याह्न 11:36 मि० से 12:24 तक का समय है, धर्मशात्रीय मत के अनुसार चित्रा नक्षत्र में कलश स्थानपन प्रशस्त नहीं माना जाता है। इसलिए दिन में सायं 6 बजके 43 मि ० तक चित्रा नक्षत्र है। उसके बाद कलश स्थापना किया जा सकता है ऐसा करने से घर में सुख, शान्ति, धन, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है एवं मां भगवती मनोकामना पूर्ण करती है । 20 अक्टूबर शुक्रवार को बिलवाभिमंत्रण,देवी बोधनं, आमंत्रण। 21 अक्टूबर शनिवार को पत्रिका प्रवेश, पूजन मूर्ति स्थापन के बाद पट खुलते ही भक्त देवी दर्शन कर सकेंगें और रात्रि में महानिशा पूजन की जाएगी।
शारदीय नवरात्र कब से कब तक :
15 अक्टूबर रविवार, 2023 – इस दिन घटस्थापना कर नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जायेगी।
16 अक्टूबर सोमवार, 2023 – नवरात्रि के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी।
17 अक्टूबर मंगलवार 2023- नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की आराधना की जायेगी।
18 अक्टूबर बुधवार, 2023 – नवरात्रि पर्व के चौथे दिन मां भगवती के देवी कुष्मांडा स्वरूप की उपासना की जायेगी।
19 अक्टूबर गुरुवार, 2023 – नवरात्रि के पांचवे दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जायेगी।
20 अक्टूबर शुक्रवार, 2023 – आश्विन नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा जायेगी।
21 अक्टूबर शनिवार, 2023 – नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।
22 अक्टूबर रविवार , 2023 – नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं।
23 अक्टूबर सोमवार, 2023 – नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है।
24 अक्टूबर मंगलवार, 2023- विजयदशमी अपराजिता पूजन कर इस दिन माँ दुर्गा विसर्जन किया जायेगा ।
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