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    Navratri Puja : नवरात्रि में मां आदिशक्ति जी को ऐसे करें प्रसन्‍न, बरस जाएगी कृपा

  • October 07, 2023

    देवास (Dewas) । नवरात्रि (Shardiya Navratri) का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि का बहुत ही ज्यादा महत्व है। देशभर में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा-आराधना की जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है।

    शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा को लाल पताका अर्पित करें। मान्यता है कि इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होगी। साथ ही शारदीय नवरात्रि के दौरान शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करें उन्हें खीर पूड़ी खिलाएं तथा लाल कपड़ा भेंट कर उन्हें ससम्मान विदा करें। इससे आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। इसके अलावा यदि आप अपने शत्रुओं से परेशान हैं, तो मां दुर्गा के मंदिर में जाकर उन्हें पीले फल और मिठाई का भोग लगाएं और पूजा स्थल पर पांच लौंग अर्पित करें।



    नवरात्रि में मां दुर्गा को नहीं चढ़ानी चाहिए ये चीजें

    शारदीय नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त
    पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11.24 मिनट पर शुरू होगी और 16 अक्टूबर 2023 को प्रात: 12.03 मिनट पर समाप्त होगी.

    कलश स्थापना मुहूर्त – सुबह 11.44 – दोपहर 12.30 (15 अक्टूबर )

    अवधि – 46 मिनट
    चित्रा नक्षत्र – 14 अक्टूबर 2023, शाम 04.24 – 15 अक्टूबर 2023, शाम 06.13
    वैधृति योग – 14 अक्टूबर 2023, सुबह 10.25 – 15 अक्टूबर 2023, सुबह 10.25
    शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां (Shardiya Navratri 2023 Tithi)

    न चढ़ाएं ये फूल
    नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा में लाल रंग के पुष्प का उपयोग किया जाता है। दुर्गा पूजा में कमल, गुड़हल, गुलाब, गेंदा के फूल चढ़ाए जाते हैं। इस दौरान ध्यान रखें कि कनेर, धतूरा और मदार के पुष्प भूल से भी न चढ़ाएं।

    अक्षत
    नवरात्रि के दौरान पूजन सामग्री में अक्षत यानी चावल का स्थान प्रमुख होता है। लेकिन नवरात्र पूजन में अक्षत के प्रयोग में ये सावधानी बरतनी चाहिए कि चावल के दाने टूटे न हों।

    लहसुन-प्याज से बना भोग
    नवरात्रि के दौरान के आप जिस भोजन में देवी दुर्गा को भोग लगा रहे हैं, उसमें लहसुन और प्याज का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि लहसुन-प्याज को तामसिक प्रवृत्ति का भोज्य पदार्थ माना जाता है।

    टूटा हुआ नारियल
    नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि कलश स्थापना के लिए टूटा हुआ नारियल इस्तेमाल न करें। पूजा के लिए जटा वाले नारियल ही इस्तेमाल करें।

    शारदीय नवरात्रि में जरूर करें दुर्गा स्तुति का पाठ दुर्गा स्तुति

    दुर्गे विश्वमपि प्रसीद परमे सृष्ट्यादिकार्यत्रये
    ब्रम्हाद्याः पुरुषास्त्रयो निजगुणैस्त्वत्स्वेच्छया कल्पिताः ।
    नो ते कोऽपि च कल्पकोऽत्र भुवने विद्येत मातर्यतः
    कः शक्तः परिवर्णितुं तव गुणॉंल्लोके भवेद्दुर्गमान् ॥ १ ॥

    त्वामाराध्य हरिर्निहत्य समरे दैत्यान् रणे दुर्जयान्
    त्रैलोक्यं परिपाति शम्भुरपि ते धृत्वा पदं वक्षसि ।
    त्रैलोक्यक्षयकारकं समपिबद्यत्कालकूटं विषं
    किं ते वा चरितं वयं त्रिजगतां ब्रूमः परित्र्यम्बिके ॥ २ ॥

    या पुंसः परमस्य देहिन इह स्वीयैर्गुणैर्मायया
    देहाख्यापि चिदात्मिकापि च परिस्पन्दादिशक्तिः परा ।
    त्वन्मायापरिमोहितास्तनुभृतो यामेव देहास्थिता
    भेदज्ञानवशाद्वदन्ति पुरुषं तस्यै नमस्तेऽम्बिके ॥ ३ ॥

    स्त्रीपुंस्त्वप्रमुखैरुपाधिनिचयैर्हीनं परं ब्रह्म यत्
    त्वत्तो या प्रथमं बभूव जगतां सृष्टौ सिसृक्षा स्वयम् ।
    सा शक्तिः परमाऽपि यच्च समभून्मूर्तिद्वयं शक्तित-
    स्त्वन्मायामयमेव तेन हि परं ब्रह्मापि शक्त्यात्मकम् ॥ ४ ॥

    तोयोत्थं करकादिकं जलमयं दृष्ट्वा यथा निश्चय-
    स्तोयत्वेन भवेद्ग्रहोऽप्यभिमतां तथ्यं तथैव ध्रुवम् ।
    ब्रह्मोत्थं सकलं विलोक्य मनसा शक्त्यात्मकं ब्रह्म त-
    च्छक्तित्वेन विनिश्चितः पुरुषधीः पारं परा ब्रह्मणि ॥ ५ ॥

    षट्चक्रेषु लसन्ति ये तनुमतां ब्रह्मादयः षट्शिवा-
    स्ते प्रेता भवदाश्रयाच्च परमेशत्वं समायान्ति हि ।
    तस्मादीश्वरता शिवे नहि शिवे त्वय्येव विश्वाम्बिके
    त्वं देवि त्रिदशैकवन्दितपदे दुर्गे प्रसीदस्व नः ॥ ६ ॥
    ॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे वेदैः कृता दुर्गास्तुतिः सम्पूर्णा ॥

    नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप

    1- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

    2- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    3- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

    4- नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।

    5- पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
    प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
    पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।
    प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

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