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    Navratri Mahanavami 2022: आज है नवरात्रि की महानवमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व आरती

  • October 04, 2022

     

    नई दिल्‍ली। नवरात्रि की महानवमी (Mahanavami) शक्ति साधना का आखिरी दिन होता है. इस बार शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) की महानवमी 4 अक्टूबर 2022 यानि आज है. दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन कर शुभ मुहूर्त में हवन करते हैं और फिर व्रत का पारण किया जाता है. महा नवमी पर देवी दुर्गा (Goddess Durga) ने महिषासुर (Mahishasura) का वध किया था, इसलिए इन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है. कहते हैं नवमी पर माता की पूजा, मंत्र जाप, हवन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

    नवरात्रि की महा नवमी इस बार बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन खास योग बन रहा है. 5 अक्टूबर 2022 को दशहरा (Dussehra 2022) पर देवी का विसर्जन कर उन्हें विदाई दी जाएगी. आइए जानते हैं नवरात्रि की महा नवमी (Maha Navami) का मुहूर्त, योग और पूजा विधि.



    नवरात्रि 2022 नवमी मुहूर्त (Navratri Navami 2022 Muhurat)

    ब्रह्म मुहूर्त- 04:38 ए एम से 05:27 ए एम।
    अभिजित मुहूर्त- 11:46 ए एम से 12:33 पी एम।
    विजय मुहूर्त- 02:08 पी एम से 02:55 पी एम।
    गोधूलि मुहूर्त- 05:52 पी एम से 06:16 पी एम।
    अमृत काल- 04:52 पी एम से 06:22 पी एम।
    रवि योग- पूरे दिन।

    मां सिद्धिदात्री की महिमा
    कमल पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री (goddess siddhidatri) की चार भुजाएं हैं, जिसमें गदा, कमल, शंख और सुदर्शन चक्र (conch shell and sudarshan chakra) विद्यमान है. मान्यता है कि मां दुर्गा की नौवी शक्ति देवी सिद्धिदात्री की पूर्ण श्रृद्धा से आराधना करने पर अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है. गंधर्व, किन्नर, नाग, यक्ष, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं.

    मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Maa Siddhidatri Puja vidhi)
    मां सिद्धिदात्री अपने नाम स्वरूप अष्ट सिद्धियां (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्रदान करने वाली देवी मानी गईं हैं. नवरात्रि की नवमी की पूजा में देवी सिद्धिदात्री को नौ कमल के फूल या सिर्फ चंपा के पुष्प भी अर्पित कर सकते हैं. कन्या भोज में बनने वाले प्रसाद का भोग लगाएं. चौमुखी दीप लगाकर देवी के मंत्रों का जाप करें और आरती कर 9 कन्याओं की विधिवत पूजा करें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में हवन करें और फिर नवमी तिथि के समाप्त होने पर व्रत का पारण करें.

    मां सिद्धिदात्री प्रिय भोग-फूल (Maa Siddhidatri Bhog and Flower)
    मां सिद्धिदात्री चने, पूड़ी, हलवे का प्रसाद अति प्रिय है. नवमी के दिन यही भोजन कन्याओं को भी खिलाया जाता है. देवी को चंपा, कमल या गुड़हल का फूल अर्पित करें इससे परिवार में खुशहाली आएगी.

    मां सिद्धिदात्री मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)
    बीज मंत्र –
    ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: (नवमी पर 1100 बार जाप से मिलेगा लाभ)

    प्रार्थना मंत्र –
    सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

    मां सिद्धिदात्री आरती-
    जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
    तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
    तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
    तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
    कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
    जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
    तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
    तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
    रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
    तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
    तू सब काज उसके करती है पूरे।
    कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
    तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
    रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
    सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
    जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।
    हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
    महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
    मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
    भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं.

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