मुंबई: हनुमान चालीसा विवाद के चलते इन दिनों निर्दलीय सांसद नवनीत राणा का नाम खूब सुर्खियों में है. हाल ही में उन्होंने लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने उद्धव सरकार और महाराष्ट्र पुलिस पर कई आरोप लगाए हैं. नवनीत राणा ने इस चिट्ठी में लिखा कि मुझे 23 तारीख को पुलिस स्टेशन ले जाया गया. 23 अप्रैल को मुझे पूरी रात पुलिस स्टेशन में ही गुजारनी पड़ी. रात को मैंने कई बार पीने के लिए पानी मांगा, लेकिन रातभर मुझे पानी नहीं दिया गया.
‘SC हूं, इसलिए हुआ भेदभाव’
नवनीत ने आगे बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मौके पर मौजूद पुलिस स्टाफ ने कहा कि मैं अनुसूचित जाति (SC) की हूं, इसलिए वह मुझे उसी ग्लास में पानी नहीं दे सकते, जिसमें वे लोग पीते हैं. मतलब मुझे मेरी जाति की वजह से पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया. मैं यह जोर देकर कहना चाहती हूं कि मेरी जाति की वजह से मुझे बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित रखा गया.
टॉयलेट यूज करने के भी नहीं मिली इजाजत
नवनीत ने तमाम गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, मुझे रात को बाथरूम जाना था, लेकिन पुलिस स्टाफ ने मेरी इस मांग पर भी कोई ध्यान नहीं दिया. फिर मुझे गाली दी गई. पुलिस ने कहा कि नीची जात वालों को वे (पुलिस स्टाफ) अपना बाथरूम इस्तेमाल नहीं करने देते हैं.
CM आवास पर हनुमान चालीसा की कोशिश
नवनीत राणा ने खत में आगे लिखा, यह मेरा सच्चा विश्वास है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना स्पष्ट कारणों से अपने स्पष्ट हिंदुत्व सिद्धांतों से पूरी तरह से भटक गई क्योंकि वह सार्वजनिक जनादेश को धोखा देना चाहती थी और कांग्रेस-एनसीपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन बनाना चाहती थी. मैंने शिवसेना में हिंदुत्व की लौ को फिर से जगाने की सच्ची आशा के साथ घोषणा की थी कि मैं मुख्यमंत्री के आवास पर जाऊंगी और उनके आवास मातोश्री के बाहर ‘हनुमान चालीसा’ का जाप करूंगी.
यह किसी धार्मिक तनाव को भड़काने के लिए नहीं था. मैंने सीएम उद्धव ठाकरे को हनुमान चालीसा के पाठ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. मेरा कदम सीएम के खिलाफ नहीं था. लेकिन मुझ पर आरोप लगाया गया कि मेरे इस कदम से मुंबई में कानून और व्यवस्था को खतरा हो सकता है. इसके बाद मैंने ये भी कहा कि मैं सीएम आवास नहीं जाऊंगी.
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