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    10 महीने बाद जेल से बाहर आए नवजोत सिंह सिद्धू

  • April 01, 2023

    नई दिल्ली: कांग्रेस नेता (congress leader) नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) 10 महीने बाद जेल से बाहर आ गए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पिछले साल 19 मई को रोड रेज के मामले में सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू को उनके अच्छे व्यवहार के चलते 2 महीने पहले ही रिहा कर दिया गया है.

    सिद्धू ने पटियाला जेल (Patiala Jail) से निकलते ही मीडिया से बात की. सिद्धू के रिहा होने से पहले ही पटियाला जेल के बाहर कांग्रेस के कई कार्यकर्ता (Many Congress workers) पहुंचे हुए थे. पटियाला जेल के बाहर ढोल-नगाड़े बजाकर सिद्धू का स्वागत भी किया गया. जेल से बाहर निकलते ही कांग्रेस नेता सिद्धू ने सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा, लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं बची है. पंजाब में राष्ट्रपति शासन लाने की साजिश की जा रही है, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. सिद्धू ने सरकार को चुनौती दी कि पंजाब को कमजोर करने की कोशिश की तो खुद कमजोर हो जाओगे.

    गौरतलब है कि कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अपनी सजा से दो महीने पहले रिहा हुए हैं. उनके वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि पंजाब प्रिजन रूल्स के मुताबिक अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो उसे समय से पहले रिहा किया जा सकता है. इस नियम के मुताबिक अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा रहता है तो हर महीने 5 से 7 दिन उसकी सजा कम होती जाती है. बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त को भी इसी आधार पर समय से पहले रिहा किया गया था.


    सिद्धू को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोड रेज केस में 1 साल की सजा सुनाई थी. वे पिछले 10 महीने से जेल में बंद थे. उन्हें आज रिहा कर दिया गया. आइए आपको बताते हैं कि वो मामला क्या है जिसमें उन्हें सजा हुई थी. दरअसल 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची.

    सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ.

    इसके बाद सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. 1999 में सेशन कोर्ट ने ने केस को खारिज कर दिया. इसके बाद केस हाई कोर्ट पहुंचा और दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई, साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. मई 2018 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू और संधू को रोड रेज के मामले में दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. फिर इस सजा के ऐलान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. मामले पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि, कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसी फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई थी.

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