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पटियाला की जेल में नवजोत सिद्धू कैदी नंबर 241383

May 21, 2022

पटियाला । पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने रोडरेज मामले (Road Rage Case) में शुक्रवार पंजाब के पटियाला जिले में समर्पण कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोड रेज के तीन दशक पुराने मामले में एक साल जेल की सजा सुनाई थी. इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई थी.

एक अन्य वीआईपी शख्सियत और सिद्धू के चिर प्रतिद्वंद्वी अकाली दल के नेता विक्रम सिंह मजीठिया भी उसी जेल में बंद हैं. मजीठिया ड्रग केस में जेल में बंद हैं, वो फरवरी-मार्च में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्धू के खिलाफ अमृतसर ईस्ट सीट से लड़े थे. हालांकि दोनों चुनाव हार गए और आम आदमी पार्टी की जीवनजोत कौर ने बड़े मतों से दोनों को हराया था. हाल ही में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने वाले सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.



जेल में उनका दिन कुछ ऐसे होगा…
5:30 बजे : अन्य कैदियों की तरह उनका दिन सुबह 5.30 बजे प्रारंभ होगा.7 बजे : उन्हें चाय के साथ बिस्किट औऱ काले चने आदि दिए जाएंगे
8:30 बजे : नाश्ते में छह चपातियों, सब्जियों के बाद उनके काम का वक्त शुरू होगा
5:30 बजे : सभी कैदी अपने निश्चित काम को पूरा करेंगे
6 बजे: शाम 6 बजे डिनर में उन्हें फिर छह चपाती, सब्जी वगैरा मिलेगी
7 बजे: कैदियों को उनकी बैरक में लॉक कर दिया जाएगा

कैदी जेल में उनके काम के अनुसार रोज 30 से 90 रुपये तक मिलते हैं. लेकिन पहले तीन महीनों में दोषियों को बिना किसी मेहनताने के प्रशिक्षण दिया जाता है. फिर उन्हें अनस्किल्ड, सेमी स्किल्ड और प्रशिक्षित कैदी के तौर पर चिन्हित किया जाता है. दोषी पाए गए अपराधी दिन में आठ घंटे तक काम कर सकते हैं. इसके बाद उन्हें आवश्यक मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया. इसके बाद उन्हें पुलिस जीप में बिठाकर जेल ले जाया गया. खास किस्म की पोशाक पहनने वाले सिद्धू कोजेल में सिर्फ सफेद कपड़े ही पहनने होंगे.

दरअसल, 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू की पटियाला के गुरनाम सिंह नाम के एक शख्स के साथ पार्किंग को लेकर कहासुनी हो गई. सिद्धू और उनके मित्र रुपिंदर सिंह संधू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को उनकी कार से बाहर घसीटा और हमला किया. बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने आरोप लगाया कि सिद्धू ने पीड़ित के सिर पर मारा. सिद्धू को 1999 में लोकल कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन वर्ष 2006 में हाईकोर्ट ने उन्हें गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी पाया था औऱ तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी. सिद्धू ने इस सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसने सजा की अवधि घटा दी औऱ जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने पाया था कि सिद्धू ने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था.

 

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