• img-fluid

    प्राकृतिक खेती को कृषि शिक्षा पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल : केन्द्रीय मंत्री तोमर

  • December 04, 2022

    – केन्द्रीय कृषि मंत्री के मुख्य आतिथ्य में प्राकृतिक खेती पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

    ग्वालियर। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Agriculture and Farmers Welfare Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा कि हमारे कृषि उत्पाद (agricultural product) गुणवत्ता (quality) में वैश्विक स्तर पर भी खरे उतरें और किसानों की आय बढ़े, इसी सोच के साथ सरकार अब उत्पादन केन्द्रित खेती के बजाय गुणवत्ता व आय केन्द्रित खेती को बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार प्राकृतिक खेती (natural farming) को जल्द ही कृषि के पाठ्यक्रम (agriculture courses) में शामिल करने जा रही है।


    केन्द्रीय मंत्री तोमर शनिवार को ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में “प्राकृतिक खेती” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने की। कार्यशाला में देश भर के 425 कृषि विज्ञान केन्द्रों से आए कृषि वैज्ञानिक, प्राकृतिक खेती से जुड़े उन्नतशील कृषक एवं कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसंधान के नोडल अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में केन्द्रीय कृषि विद्यालय इम्फाल के कुलपति डॉ. अनुपम मिश्रा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. वेदप्रकाश चहल एवं कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला मंचासीन थे। कार्यशाला का आयोजन जबलपुर व ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान केन्द्र जबलपुर (अटारी) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

    केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि एक समय देश ने हरित क्रांति अपनाकर और रासायनिक खेती के माध्यम से खाद्यान्न की जरूरतों को पूरा किया है लेकिन अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से हमें दुष्परिणाम भी भोगने पड़ रहे हैं। इसलिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की महती आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती को बल देने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर कार्यशालाओं आदि के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच मंथन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि सिर्फ आजीविका भर नहीं है, आजीविका के कई और साधन हो सकते हैं पर यदि कृषि उपेक्षित हुई तो जेब में पैसा तो होगा पर पैसे से हम अन्न नहीं बना सकते।

    उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपने आप में पूर्णता का संदेश है और समय की मांग है। यदि हम अभी से सचेत नहीं हुए तो माटी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जायेगी और एक दिन ऐसा आयेगा कि धरती उत्पादन देना बंद कर देगी। इसलिये हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना ही होगा। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे इस दिशा में अनुसंधान जारी रखें और किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करें। यदि किसान प्राकृतिक खेती अपना लेंगे तो गायें भी सड़क पर दिखाई नहीं देंगीं। गुजरात का डांग जिला इसका उदाहरण है। जहां पर प्राकृतिक खेती अपनाई जाने से लोग गौ शालाओं से गायें लाकर अपने घर पर बांध रहे हैं।

    उद्यानिकी राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि किसान की ताकत बढ़ेगी तो देश भी ताकतवर होगा। इसी सोच के साथ मध्यप्रदेश में किसान हितैषी योजनाएं बनाई गई हैं। प्राकृतिक खेती कम खर्चे व कम पानी में अधिक उत्पादन और आय बढ़ाने वाली खेती की पद्धति है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिये पशुपालन को अनिवार्य बताया।

    केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के कुलपति प्रो. अनुपम मिश्र ने कहा कि देश में पहली बार प्राकृतिक खेती पर इतनी बड़ी कार्यशाला हुई है, जिसमें देश के 400 से अधिक जिलों से कृषि वैज्ञानिक व प्रगतिशील किसान आए हैं। प्रकृति के साथ समन्वय बनाकर रहना मनुष्य के लिये जरूरी है। इसलिये स्वस्थ रहने के लिये प्राकृतिक खेती को अपनाना ही होगा।

    कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि प्राकृतिक खेती प्रगति और प्रकृति के बीच समन्वय बनाने का काम करती है। इसीलिए भारत में आदिकाल से प्राकृतिक खेती होती आई है।

    केन्द्रीय मंत्री तोमर ने की मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की सराहना
    केन्द्रीय मंत्री तोमर ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश के पांच हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की पहल कर राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय कदम उठाया है।

    किसानों का भी समर्पण सेना के जवानों की तरह
    केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि किसान भी सेना के जवान की तरह समर्पण भाव से काम करते हैं। जिस प्रकार सेना के जवान के लिये सीमा पर ड्यूटी के दौरान केवल मातृ भूमि की रक्षा का ध्येय होता है, उसी तरह कितनी भी प्राकृतिक आपदाएं झेलनी पड़ें, किसान खेती नहीं छोड़ता और उसके मन में सदैव यह ध्येय रहता है कि देश के 130 करोड़ लोगों की भूख मिटाने में हम सहभागी बनें। (एजेंसी, हि.स.)

    Share:

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में लगाई हाजिरी

    Sun Dec 4 , 2022
    वाराणसी। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman) ने शनिवार शाम काशीपुराधिपति के स्वर्णिम दरबार (Kashipuradhipati Golden Court) में हाजिरी लगाई। दरबार में वैदिक मंत्रोच्चार (Vedic chanting) के बीच केन्द्रीय मंत्री ने विधि विधान से पूजन अर्चन (ritualistic worship) किया। दर्शन पूजन के बाद केन्द्रीय मंत्री ने काशी विश्वनाथ धाम का […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved