img-fluid

प्राकृतिक खेती धरती, पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने का अभियान : मुख्यमंत्री

May 18, 2022

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि प्राकृतिक खेती धरती, पर्यावरण और मानव जीवन को बचाने का अभियान है। यह केमिस्ट्री लेब (chemistry lab) से निकलकर प्रकृति लेब में ले जाने वाली खेती है। प्राकृतिक खेती (natural farming) कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली केमिकल रहित खेती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के अत्यधिक उपयोग से धरती का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है। किसानों के केंचुए जैसे उपयोगी कीट मित्र समाप्त होते जा रहे हैं। धरती की उर्वरा शक्ति क्षीण हो गई है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले गेहूँ, धान, अनाज, फल, सब्जी आदि मनुष्यों में गंभीर रोग विकसित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन के लिए शुरू किए गए अभियान के लिए हम सब उनके आभारी हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान प्राकृतिक खेती पर सीहोर जिले के नसरूल्लागंज में हुई कृषक संगोष्ठी को निवास कार्यालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव कृषि तथा किसान-कल्याण श्री अजीत केसरी भी उपस्थित थे। नसरूल्लागंज कार्यक्रम में गुजरात के नीलकंठ धाम पोइचा के श्री केवल स्वरूप स्वामी जी विशेष रूप से उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 17 जिलों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषक संगोष्ठियाँ की जा रही हैं। प्रदेश के सभी जिलों में प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए कार्यक्रम किए गए हैं।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा की फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है। कैंसर जैसी बीमारियों के होने का एक बड़ा कारण हानिकारक रसायनों का शरीर में प्रवेश करना है। रसायन और कीटनाशक के बढ़ते उपयोग से जल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। आने वाली पीढ़ी को बेहतर धरती और पर्यावरण सौंपना हमारी जिम्मेदारी है। यह प्राकृतिक खेती से ही संभव होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी इस दिशा में विशेष रूप से सक्रिय हैं। प्राकृतिक खेती से उत्पादन भी नहीं घटता है। जीवामृत, घन जीवामृत दोषरहित हैं, इनके उपयोग से गेहूँ, धान, अनाज, फल, सब्जी की पौष्टिकता और स्वाद बढ़ता हैं। प्राकृतिक खेती से पैदा हुई सामग्री की सम्पूर्ण विश्व में बहुत अधिक माँग है, परिणामस्वरूप इससे उत्पादित फल, सब्जी, अनाज आदि से किसान को अच्छा मूल्य प्राप्त होता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती जीरो बजट की खेती है। रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग नहीं होने से प्राकृतिक खेती में लागत कम और आय अधिक हैं। इस खेती में किसी भी कृत्रिम तत्व का उपयोग नहीं होता। परिणामस्वरूप मिट्टी का संतुलन ठीक रहता है और मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है। अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होने से बिजली का उपयोग भी कम होता है। प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर और गौ-मूत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। किसानों को गाय की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार प्रतिमाह 900 रूपए उपलब्ध कराएगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी किसानों से अपने खेत के एक भाग में प्राकृतिक खेती अपनाने का आहवान किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे स्वयं इस खरीफ फसल से पाँच एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती से फसल लेना आरंभ करेंगे। नसरूल्लागंज में हुए कार्यक्रम में वरिष्ठ जन-प्रतिनिधि श्री गुरूप्रसाद शर्मा, श्री रवि मालवीय तथा गांधी नगर अहमदाबाद से आए उप संचालक कृषि श्री पी.बी. खिस्तारिया उपस्थित थे।

Share:

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया आरटीओ कार्यालय का औचक निरीक्षण, आरटीओ दिनेश पठोई को किया सस्पेंड

Wed May 18 , 2022
देहरादून । मुख्यमंत्री (Chief Minister) पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने बुधवार को राजधानी देहरादून (Dehradoon) स्थित आरटीओ कार्यालय (RTO Office) का आकस्मिक निरीक्षण किया (Did Surprise Inspection) और आरटीओ दिनेश पठोई (RTO Dinesh Pathoi) को सस्पेंड कर दिया (Suspended) । सुबह करीब दस बजे मुख्यमंत्री के अचानक आरटीओ पहुंचने से हड़कंप मच गया। […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
शनिवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved