ब्रसेल्स: यूक्रेन-रूस युद्ध और पुतिन की परमाणु धमकियों के बीच नाटो अपने सबसे बड़े युद्धाभ्यास में जुटा हुआ है. ‘स्टेड फास्ट नून’ (Stead fast noon) के नाम से शुरू हुए इस वार्षिक परमाणु अभ्यास में चौदह सदस्य राज्य और 60 विमान हिस्सा ले रहे हैं, जो तेरह दिनों तक बेल्जियम, उत्तरी सागर और ब्रिटेन के हवाई क्षेत्र को दहलाते रहेंगे. यह परमाणु ड्रिल रूस के वार्षिक ग्रोम अभ्यास से ठीक पहल की जा रही है, जहां मास्को अपने परमाणु-सक्षम बमवर्षकों, पनडुब्बियों और मिसाइलों का परीक्षण कर नाटो को अपना दमखम दिखाने का प्रयास करेगा.
B-52 बॉम्बर भी है ड्रिल का हिस्सा
दुनिया का काल समझे जाने वाले B-52 बॉम्बर को भी इस ड्रिल का हिस्सा बनाया गया है. NATO के अनुसार स्टीडफास्ट नून में US एयर फ़ोर्स (USAF) के B-52 स्ट्रैटोफ़ोर्ट्रेस रणनीतिक बमवर्षक नॉर्थ डकोटा के मिनोट एयर बेस से दुश्मनों के दिलों को दहलाने के लिए लम्बी उड़ान भरेंगे. वहीं बेल्जियम के क्लेन ब्रोगेल एयर बेस से एडवांस F-16 विनाशकारी मिसाइल से लेस होकर ड्रिल का हिस्सा बना है. हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki Nuclear Attacks) पर परमाणु हमले के लिए भी इसी सीरीज के बॉम्बर B-29 को इस्तेमाल किया गया था. इन परमाणु हमलों में करीब 3 लाख 50 हजार लोग मारे गए थे.
नाटो के पास कितने एटम बम
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की मानें तो दुनिया के सात देशों के पास कुल 12700 नुक्लियर वारहेड्स (Nuclear Warheads) मौजूद हैं. इनमें से दो देशों अमेरिका और रूस 90 प्रतिशत से अधिक परमाणु बम अपने पास रखते हैं. अगर अमेरिका के साथ नाटो के सभी देशों को मिला लें तो यह संख्या 5943 बनती है जो पूरी दुनिया को कई बार तबाह करने के लिए पर्याप्त है.
विश्लेषकों का कहना है कि नाटो न्यूक्लियर युद्ध की स्थिति में संभावित रूप से एक या अधिक टैक्टिकल या युद्धक्षेत्र परमाणु बम तैनात कर सकता है. टैक्टिकल परमाणु छोटे हथियार होते हैं, जिनमें 0.3 किलोटन से लेकर 100 किलोटन तक की विस्फोटक शक्ति होती है. तुलना के लिए, 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर जो परमाणु बम गिराया गया था वो महज 15 किलोटन का था. इस हमले में एक लाख 35 हजार लोग मारे गए थे वहीं आज भी कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में लोग आ रहे हैं.
ऐसे में अगर NATO हिरोशिमा परमाणु हमले के मुकाबले 6 गुना अधिक ताकतवर परमाणु हमला करेगा तो एक झटके में रूस की एक बड़ी आबादी तबाह हो सकती है. टैक्टिकल वेपन की जगह स्ट्रेटेजिक नुक्लियर वेपन अधिक विनाशकारी साबित हो सकता है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ना तय है. हालांकि यूक्रेन युद्ध में NATO के स्ट्रेटेजिक परमाणु हमला करने की संभावना न के बराबर ही है.
रूस के पास परमाणु शक्ति
अगर नाटो के सभी देशों के परमाणु हथियारों को मिला लिया जाये तो भी वह रूस की बराबरी नहीं कर सकते हैं. ऐसे में रूस अपने शक्तिशाली टुपोलेव टीयू-160 का इस्तेमाल कर नाटो के सभी देशों का वजूद मिटा सकता है. UN रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में रूस के पास सबसे अधिक 5977 परमाणु बम उसके सैन्य ठिकानों में मौजूद हैं. इतने परमाणु बमों की मदद से पुतिन सैकड़ों बार पृथ्वी को तबाह कर सकते हैं.
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार इन वारहेड में से अकेले 1100 से अधिक इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल हैं जो रूस से बैठे ही दुनिया के हर कोने तक भेजी जा सकती हैं. साथ ही यूक्रेन को समुद्र से भी एक के बाद एक परमाणु हमले देखने को मिल सकते हैं. रूस की नौसेना ने सबमरीन से परमाणु हमले करने के लिए अपने बेड़े में 800 बैलिस्टिक मिसाइल को सजा रखा है. ऐसे में अगर नाटो और रूस में परमाणु बम होता है ये तो न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित होगा और तीसरे विश्व युद्ध की ओर दुनिया को धकेल देगा.
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