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राष्ट्रभक्त कौम है जाट और राष्ट्र के लिए डाल रही है वोट – सत्यपाल सिंह

February 10, 2022


छपरौली । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assenbly Elections) के पहले चरण में छपरौली के बासौली में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद (After Casting his Vote) पूर्व केंद्रीय मंत्री (Former Union Minister) और बागपत से सांसद (Bagpat MP) सत्यपाल सिंह (Satyapal Singh) ने कहा कि राष्ट्रभक्त कौम है जाट (Nationalist Community is Jat) और राष्ट्र के लिए डाल रही है वोट (Casting Votes for the Nation) ।


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों के लिए मतदान जारी है। अखिलेश यादव-जयंत चौधरी के गठबंधन से मिल रही चुनौती के बीच भाजपा यह दावा कर रही है कि जाट राष्ट्रभक्त कौम है और इस बार के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल के सबसे मजबूत गढ़ छपरौली में भी कमल खिलने जा रहा है।छपरौली के बासौली में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा कि 2014 के लोक सभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र की जनता ने 1937 के बाद पहली बार इतिहास बनाते हुए उन्हें 15 हजार से अधिक मतों से बढ़त दी थी और इस बार विधानसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र में कमल खिलने जा रहा है।

जाटों की नाराजगी को लेकर आईएएनएस द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि जाट राष्ट्रभक्त कौम है और यह राष्ट्रभक्त कौम राष्ट्र के लिए मतदान कर रहा है। सिंह ने कहा कि जरूरत पड़ने पर जाट बंदूक और तलवार हाथ में लड़ता है और शांति में आराम से खेती करता है।’मोदी का नाम और योगी का काम’ की बात कहते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि इस इलाके में सबसे बड़ा मुद्दा सुरक्षा है। लोगों को सुरक्षा चाहिए जो योगी सरकार ने दिया है और इसलिए लोग भाजपा के साथ है, भाजपा द्वारा कराए गए विकास कार्यों के साथ है।

आपको बता दें कि, आईपीएस अधिकारी रह चुके सत्यपाल सिंह ने 2014 के लोक सभा चुनाव में बागपत से राष्ट्रीय लोक दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को करारी शिकस्त दी थी तो वहीं 2019 लोक सभा चुनाव में जयंत चौधरी को इस सीट से हराया था। लेकिन 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा की आंधी चलने के बावजूद छपरौली से रालोद उम्मीदवार को ही जीत हासिल हुई थी। हालांकि 2017 में रालोद के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सहेंद्र सिंह रमाला बाद में भाजपा में शामिल हो गए और इस बार वो भाजपा के ही टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

दरअसल, छपरौली विधानसभा हमेशा से ही रालोद का गढ़ रहा है। देश आजाद होने से पहले 1937 में चौधरी चरण सिंह यहां से पहली बार चुनाव जीते और उसके बाद उनका परिवार और छपरौली एक दूसरे का पर्याय बन गया। चौधरी चरण सिंह यहां से 6 बार विधानसभा का चुनाव जीते। उनकी बेटी सरोज और अजित सिंह भी यहां से विधायक बने।

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