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प्रतिवर्ष ग्वालियर में आयोजित होगा ध्रुपद का राष्ट्रीय समारोह : केन्द्रीय मंत्री तोमर

November 14, 2021

तीन दिवसीय ध्रुपद समारोह-2021 का शुभारंभ

ग्वालियर। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare Narendra Singh Tomar) ने कहा कि राष्ट्रीय ध्रुपद समारोह (National Dhrupad Festival) अब ग्वालियर में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाएगा। इसके साथ विख्यात संगीतज्ञ बैजू बाबरा की याद में भी ग्वालियर में कार्यक्रम का आयोजन होगा। केन्द्रीय मंत्री तोमर ने यह बात शनिवार शाम को ग्वालियर के महाराज बाडा स्थित टाउन हॉल में दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ध्रुपद समारोह 2021 के शुभारंभ अवसर पर कही।

राष्ट्रीय ध्रुपद महोत्सव समारोह 13 से 15 नवम्बर तक प्रतिदिन सायंकाल 6 बजे से टाउन हॉल में आयोजित होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश की संस्कृति एवं अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पं. साहित्य कुमार नाहर, भाजपा जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी सहित वरिष्ठ ध्रुपद गायक पद्मश्री उस्ताद वासिफ उद्दीन डागर, सहायक संचालक गोपाल बेतवार एवं कुलसचिव डॉ कृष्ण कान्त शर्मा उपस्थित थे।


केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर की पहचान न केवल देश में बल्कि विश्वभर में है। तानसेन की जन्मस्थली होने के साथ-साथ ग्वालियर में अनेक ख्यातिनाम संगीतकार हुए हैं। यह धरा बैजू बाबरा की साधना स्थली भी है। ग्वालियर में ध्रुपद का राष्ट्रीय समारोह प्रतिवर्ष आयोजित होगा। इसके लिए उन्होंने राज्य शासन के संस्कृति विभाग की ओर से प्रस्ताव केन्द्र को भेजने का आग्रह किया। केन्द्र सरकार के माध्यम से इसकी स्वीकृति भी होगी और प्रतिवर्ष ग्वालियर में ध्रुपद का राष्ट्रीय महोत्सव आयोजित होगा।

उन्होंने कहा कि पहला संगीत विश्वविद्यालय किन्हीं कारणों से ग्वालियर में नहीं बन पाया था। लेकिन 2003 में हमारी सरकार आने के बाद ग्वालियर में एक ही दिन में संगीत विश्वविद्यालय के साथ-साथ कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना भी हुई। इन दोनों विश्वविद्यालयों का लाभ हमारे ग्वालियर-चंबल अंचल के लोगों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि ध्रुपद के क्षेत्र में ग्वालियर की पूरे विश्वभर में अलग पहचान है। यहां पर ध्रुपद केन्द्र भी स्थापित है, जिसके माध्यम से युवा इस विधा में दक्ष होने का कार्य कर रहे हैं। ग्वालियर में तानसेन की जन्मस्थली बेहट को और विकसित करने की दिशा में भी प्रदेश सरकार सार्थक प्रयास कर रही है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे यह भी प्रयास हैं कि बैजू बाबरा की याद में भी प्रतिवर्ष ग्वालियर में संस्कृति विभाग के माध्यम से आयोजन किए जाएं। ग्वालियर में संगीत के वर्ष भर इतने आयोजन होना चाहिए कि ग्वालियर के रसिक श्रोता संगीत की सुगंध और आनंद लेते रहें।

संगीत और संस्कृति के प्रोत्साहन में सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगीः ऊषा ठाकुर
प्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि भारतीय शैली की ध्रुपद को पुनर्जीवित करने का जो कार्य केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रयासों से किया जा रहा है, वह अनुकरणीय है। प्रदेश सरकार संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। ग्वालियर में प्रतिवर्ष ध्रुपद का राष्ट्रीय समारोह आयोजित होगा, इसके लिये प्रदेश सरकार सार्थक पहल करेगी। उन्होंने कहा कि संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर की एक अलग पहचान है। इस पहचान को चिर स्थायी बनाए रखने की दिशा में सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि आजादी का 75वां महोत्सव देश मना रहा है। देश की आजादी में जिन वीरों और क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनसे प्रेरणा लेने के लिये हम सबको अपने-अपने घरों में वीरों और क्रांतिकारियों का एक चित्र अवश्य लगाना चाहिए। इससे हमारे युवा और आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ले सके। देश की आजादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों और शहीदों के प्रति यह हमारी सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं राजा मानसिंह तोमर के छायाचित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया गया।

कार्यक्रम में इनकी हुई प्रस्तुति
ध्रुपद समारोह में शनिवार की शाम ध्रुपद केन्द्र ग्वालियर के गायन के साथ समारोह की प्रस्तुतियों की शुरुआत हुई। इसी क्रम में यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन हुआ। इसी कड़ी में इंदौर की चित्रांगदा आंगले का पखावज वादन और पद्मश्री उस्ताद वासिफउद्दीन डागर नई दिल्ली का ध्रुपद गायन भी हुआ।

14 व 15 नवम्बर को इनकी होगी प्रस्तुति
ध्रुपद समारोह में 14 नवम्बर को सायंकाल राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर द्वारा समूह ध्रुपद गायन होगा। इसी क्रम में मृणालिनी दास वाराणसी का ध्रुपद गायन, अनुज प्रताप सिंह एवं सुदीप भदौरिया का युगल ध्रुपद गायन, डॉ. अश्विनी दलवी जयपुर का सुरबहार वादन और डॉ मधु भट्ट तेलंग जयपुर द्वारा ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी जायेगी। समारोह में 15 नवम्बर को सायंकाल समित मल्लिक दिल्ली का ध्रुपद गायन, अभिजीत सुखदाणे का ध्रुपद गायन, ज्योति हेगडे कर्नाटक का रूद्रवीणा वादन एवं पं. उदय भवालकर पुणे का ध्रुपद गायन होगा। (एजेंसी, हि.स.)

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