ग्वालियर। आजादी के बाद से ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान (Gwalior Azad Hindustan) की आन-बान-शान तिरंगा का निर्माण कर पूरे देश में अपना नाम रौशन कर रहा हैं। ग्वालियर स्थित मध्य भारत खादी संघ राष्ट्रीय ध्वज (Central India Khadi Association National Flag) का निर्माण करने वाली भारत की तीसरी संस्था है। कर्नाटक (Karnataka) के हुबली, मुंबई और ग्वालियर में ही खादी संघ संस्था राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करता है। ग्वालियर से देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय ध्वज की सप्लाई (supply of national flag) होती है। हर साल करीब 1 से 2 करोड़ रुपये के तिरंगे यहां बनाए जाते है। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर तिरंगों के निर्माण में चार गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है।
ग्वालियर में खादी संघ में तीन कैटेगरी के तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं। मध्य भारत खादी संघ में तिरंगा निर्माण इकाई के प्रभारी नीलू सिंह ने बताया है कि इसमें 2×3 फीट, 6×4 फीट, 3×4.5 फीट के झंडे शामिल हैं। साथ ही तिरंगों को तैयार करते समय तय मानकों का भी ध्यान रखा जाता है। कपड़े की क्वालिटी, चक्र का साइज, रंग आदि मानक शामिल होते हैं। साथ ही खादी संघ की लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है। लैब में 12 मानकों को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है। कारीगरों का कहना है कि देश की आन, बान और शान तिरंगा को तैयार कर खुद को गौरवातिंत महसूस करते है।
मध्य भारत खादी संघ के अध्यक्ष बासुदेव शर्मा ने बताया है कि देश में मात्र तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने के 3 दस्तावेज जारी किए हैं। इसके मुताबिक, सभी झंडे खादी, सिल्क कॉटन के होते और मानकों के अनुसार ही तैयार होंगे।यही कारण है कि मुंबई, हुबली और ग्वालियर में तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण के समय सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाता है। उन्होंने बताया कि ग्वालियर में पूरी शुद्ध खादी से ही तिरंगों का निर्माण होता है। 26 जनवरी, 15 अगस्त और संविधान दिवस के मौके पर ग्वालियर में तैयार हुआ तिरंगा अलग-अलग राज्यों में सप्लाई होता है। इस बार तिरंगों की भारी डिमांड है। संस्था ऑर्डर पूरा नहीं कर पा रही है।
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