भोपाल। प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीसीसी चीफ कमलनाथ अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोडऩे का ऐलान कर सकते हैं। वर्तमान में वे पीसीसी चीफ के साथ नेता प्रतिपक्ष का दायित्व भी संभाल रहे हैं। मुख्यमंत्री रहते भी उन्होंने पीसीसी चीफ की कमान संभाली थी। चुनाव नतीजों को लेकर आज शाम को कमलनाथ ने अपने निवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई है। बैठक में चुनाव के नतीजे एवं पार्टी की अगली रणनीति पर चर्चां होना है। खबर है कि नतीजे के बाद कांग्रेस में एक बार फिर युवा नेतृत्व को कमान सौंपने की मांग मुखर होने लगी है। प्रदेश कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी महामंत्री राजीव सिंह ने बताया है कि बुधवार 11 नवंबर 2020 को शाम 6 बजे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक आहूत की गई है। बैठक में जिन जिलों में चुनाव हुए उनके जिला कांग्रेस अध्यक्षों एवं 28 विधानसभा क्षेत्र के प्रभारियों ओर कांग्रेस प्रत्याशियों को भी अनिवार्य रूप से उपस्थित होने हेतु कहा गया है।
हाईकमान करेगा फैसला
उपचुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है।ऐसे में मप्र कांग्रेस में बड़ा बदलाव होना लगभग तय हैं। पार्टी हाईकमान जल्द ही इसका फैसला करेगा। कांग्रेस में क्या बदलाव होना है, इसके संकेत आज शाम को होने वाली विधायक दल की बैठक में मिल जाएंगे। उपचुनाव के नतीजे से यह स्थिति स्पष्ट है कि कांग्रेस हाईकमान अब मप्र को मौजूदा नेतृत्व के भरोसे नहीं छोड़ सकता है। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद मप्र कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की बड़े नेता है। उपचुनाव में दोनों नेताओं ने रणनीति बनाकर काम किया। ऐसे में यह भी तय है कि पीसीसी की कमान दिग्विजयसिंह को भी नहीं सौंपी जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस के आलाकमान के सामने नए नेतृत्व को खड़ा करना बड़ी चुनौती है। जिससे मप्र में कांग्रेस को फिर से संगठित करने के लिए क्या किया जाए? सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद भी मप्र में कांग्रेस काफी गुटों में बंटी हुई है। गुटबाजी की वजह से ही कमलनाथ सरकार गिरी थी। क्योंकि वे सिंधिया और उनके समर्थकों को संभाल नहीं पाए थे। यही वजह रही कि पूरा सिंधिया गुट भाजपा में शामिल हो गया था।
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