मुंबई (Mumbai)। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) अपनी मजाकिया कमेंट्री (witty commentary) के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह फिल्म समीक्षा हो, कोई भूमिका हो या सामाजिक मुद्दे हों। नसीरुद्दीन शाह अक्सर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर भी स्पष्ट विचार व्यक्त करते हैं। फिलहाल नसीरुद्दीन शाह के प्रस्तावित ऐसे ही एक रोल की खूब चर्चा हो रही है। एक में इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने कई मुद्दों पर टिप्पणी की।
इस मौके पर नसीरुद्दीन शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने, एनडीए सरकार की नीतियों, देश में धार्मिक नफरत की राजनीति, सामाजिक समस्याओं जैसे कई मुद्दों पर खुलकर बात की। विपक्ष लगातार आलोचना कर रहा है कि देश में धार्मिक नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है। जब नसीरुद्दीन शाह से इस पृष्ठभूमि के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गलती देश के मुसलमानों की भी है।
उन्होंने कहा कि, “इसने धर्म निरपेक्षता या समानता के बचे-खुचे अवशेषों को नष्ट करने का अवसर प्रदान किया। ये दावे ग़लत हैं कि हम पहले ख़ुश और समृद्ध थे, सब कुछ ठीक था। ऐसी बात नहीं थी। फिल्मों या गानों में हिंदू-मुस्लिम एकता की तस्वीर पेश की जाती थी। यह ऐसा बनाने का एक प्रयास था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि देश ने इसे स्वीकार किया है। केवल कुछ ही ने स्वीकार किया।
इस बीच नसीरुद्दीन शाह ने एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते कहा कि गलती मुस्लिम समुदाय की भी है। “मैंने इस देश में छह पीढ़ियां बिताईं, इस देश ने मुझे प्यार करना सिखाया, लेकिन कुछ मौकों पर मुझे लगा कि यह देश अलग है।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि मुसलमानों ने भी कभी इन चीज़ों के बारे में शिकायत नहीं की है। मुसलमानों ने अब तक सभी गलत चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्हें शिक्षा की चिंता से ज्यादा हिजाब, सानिया मिर्जा की स्कर्ट की लंबाई की चिंता है। उन्हें शिक्षा की चिंता करनी चाहिए। उन्हें बच्चों को आधुनिक चीजों की ट्रेनिंग देनी चाहिए। उन्हें बच्चों को मदरसे में रखकर हमेशा के लिए धार्मिक शिक्षा देने की बजाय आधुनिक शिक्षा देनी चाहिए। यह मुसलमानों की गलती है।
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