वॉशिंगटन। नासा मंगल ग्रह पर अपना यान क्रैश करेगा। एक विशेष तकनीक की मदद से क्रैश होने के बाद इसमें लगे उपकरण वहीं गिर जाएंगे, ताकि अन्य जानकारियां इकट्ठी की जा सकें। दरअसल, नासा के पास मंगल पर यान उतारने के लिए एक शानदार कारगर तकनीक है।
यह तकनीक अब तक नौ बार सफल हो चुकी है, लेकिन इस तकनीक में काफी खर्चा होता है इसलिए नासा तेज गति के टकराव वाली लैंडिंग पर प्रयोग कर रहा है। अगर यह तकनीक सफल रहती है तो इसे अन्य ग्रहों पर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
दक्षिण कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी में शील्ड के प्रोजेक्ट मैनेजर लोऊ गेर्श ने कहा, इस नई डिजाइन से मंगल पर यान या अन्य उपकरण उतारना बहुत ज्यादा सस्ता हो जाएगा जिसमें यान का प्रवेश, उसका नीचे उतरने और लैंडिंग प्रक्रिया और साइट पर खुलने के विकल्प सभी आसान हो जाएंगे।
मुश्किल इलाकों में लैंडिंग
लोऊ ने बताया, हमें लगता है कि हम इस तकनीक के जरिए और भी मुश्किल इलाकों में जा सकते हैं जहां हम अरबों डॉलर के रोवर वर्तमान लैंडिंग सिस्टम से उतारने का जोखिम नहीं ले सकते हैं। हो सकता है कि हम इस तरह की कठिन अलग अलग स्थानों पर एक नेटवर्क बना सकें जहां लैंडिंग हो सकती है।
शील्ड नाम का प्रयोग
धीमी गति से यान उतारने की जगह उसे तेज गति से उतारने के लिए नासा ने एक प्रयोगात्मक लैंडर डिजाइन किया है जिसे शील्ड, सिम्पलिफाइड हाई इम्पैक्ट एनर्जी लैंडिंग डिवाइस (शील्ड) कहते है। यह एक खास जगह का उपयोग करेगा। इससे यान टकराएगा और टकराव की ऊर्जा को अवशोषित करेगा। इस तरह के प्रयोग कार के टकराव के अध्ययन में उपयोग में लाई जाती है।
मार्स सैंपल रिटर्न मिशन
शील्ड की डिजाइन का अधिकांश हिस्सा नासा के मार्स सैंपल रिटर्न मिशन से लिया गया है। पर्सिवियरेंस रोवर द्वारा मंगल की सतह से चट्टानों और मिट्टी के नमूने एयर टाइट ट्यूब में जमा करना है। भविष्य में ये ट्यूब पृथ्वी पर एक छोटे कैप्स्यूल द्वारा लाई जाएंगी और रेतीले इलाके में गिराई जाएंगी। जहां रेत उस टकराव के झटके को झेल सकेगी।
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