वाशिंगटन (Washington.)। स्पेसएक्स के अरबपति संस्थापक एलन मस्क (Elon musk) मंगल ग्रह पर जीवन (Life on planet Mars) बसाने को लेकर प्रयासरत हैं। उनके इन प्रयासों के बीच मंगल ग्रह पर एक चौंकाने वाला गड्ढा दिखा है। ग्रह पर एक प्राचीन ज्वालामुखी के किनारे दिखे इस रहस्यमयी गड्ढे ने अंतरिक्ष के प्रति जुनून रखने वाले लोगों के बीच उत्साह पैदा कर दिया है। कहा जाता है कि मंगल ग्रह पर धूल भरी आंधी और तापमान में उतार-चढ़ाव आम बात है। लेकिन अब यह गड्ढा कैसे आया, इसको लेकर हर कोई जानने को उत्सुक है।
नासा के मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (MRO) पर तैनात हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट (HiRISE) कैमरे द्वारा कैप्चर किया गया यह गड्ढा, अब विलुप्त हो चुके अर्सिया मॉन्स ज्वालामुखी के किनारे स्थित है और केवल कुछ मीटर चौड़ा है।
अर्सिया मॉन्स ज्वालामुखी को अगस्त 2022 में खोजा गया था। अक्सर ऐसा होता है कि ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा धरती पर बड़ी-बड़ी नालियां बना देता है। ज्वालामुखी के किनारों पर विभिन्न छेदों का दिखना आम बात है, लेकिन यह गड्ढा थोड़ा अलग प्रतीत हो रहा है।
In 1968, during Apollo 8, Bill Anders offered to humanity among the deepest of gifts an astronaut can give. He traveled to the threshold of the Moon and helped all of us see something else: ourselves. He embodied the lessons and the purpose of exploration. We will miss him. pic.twitter.com/wuCmfHpu3g
— Bill Nelson (@SenBillNelson) June 8, 2024
हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि ये बड़ा सा छेंद क्या है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक गुफा या कई सारी गुफाओं की ओर ले जाने वाला रास्ता हो सकता है। अगर मंगल ग्रह चंद्रमा या पृथ्वी जैसा निकलता है, तो ये लावा से बनीं खाली चौड़ी नालियां बंजर पड़े इस ग्रह पर मानव बस्तियों के लिए शरण प्रदान कर सकती हैं। इन नालियों को स्काईलाइट्स कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर भविष्य में इंसान मंगल ग्रह पर जाते हैं तो इन गड्ढों के अंदर उनकी बस्तियां बसाई जा सकती हैं।
हालांकि, नासा ने गड्ढों में से एक की तस्वीर जारी की है। इसमें एक साइडवॉल दिखाई दे रही है, जो यह दर्शाता है कि यह बेलनाकार है और शायद किसी गुफा की ओर नहीं जाता है। इस तरह के गड्ढों को ‘पिट क्रेटर’ कहा जाता है और हवाई ज्वालामुखी पर ये काफी आम हैं। पृथ्वी पर, ये छह से 186 मीटर तक गहरे होते हैं, जबकि तस्वीर में अर्सिया मॉन्स ज्वालामुखी का गड्ढा 178 मीटर गहरा है। इस तरह के गड्ढे वैज्ञानिकों को आकर्षित करते हैं क्योंकि ये मंगल ग्रह पर पिछले जीवन के बारे में सुराग दे सकते हैं और यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि ग्रह पर अभी भी सूक्ष्मजीवी जीवन मौजूद है या नहीं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved