नई दिल्ली: नासा के नए स्पेस टेलीस्कोप जेम्स वेब (James Webb Space Telescope) ने पहली स्टारलाइट को कैप्चर किया है. साथ ही विशाल सोने से मढ़े अपने मिरर की एक सेल्फी भी ली है. टेलीस्कोप का पहला लक्ष्य तारामंडल (Constellation) सप्तर्षिमंडल (Ursa Major) में 258 प्रकाश वर्ष दूर एक चमकीला तारा था. नासा के अधिकारियों ने कहा कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) पर लगे प्राइमरी मिरर (primary mirror) के सभी 18 खंड इस मिशन में डेढ़ महीने से ठीक से काम कर रहे हैं.
बाल्टीमोर में स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट (Space Telescope Science Institute) के मार्शल पेरिन ने कहा कि यह वास्तव में उम्मीद से ज्यादा खुशी मिलने वाला पल था. अगले कुछ महीनों में इन कॉफी टेबल के आकार वाले हर हेक्सागोनल मिरर (hexagonal mirror) को एक साथ जोड़ा जाएगा और एक साथ केंद्रित किया जाएगा, जिससे जून के अंत तक वैज्ञानिक ऑब्जर्वेशन (Science Observations) का काम शुरू हो सकेगा.
10 अरब डॉलर की ये इन्फ्रारेड वेधशाला (infrared observatory) पुरानी हो चुकी हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) की उत्तराधिकारी मानी जा रही है. ये लगभग 14 अरब साल पहले ब्रह्मांड में बनने वाले पहले सितारों और आकाशगंगाओं से प्रकाश की तलाश करेगी. यह अंतरिक्ष में जीवन के किसी भी संभावित संकेत की तलाश करेगी.
गौरतलब है कि हबल के मिरर में गड़बड़ी का पता नासा को लंबे समय तक नहीं चल सका था, जबकि वेब इन्फ्रारेड वेधशाला के साथ अभी तक सब कुछ अच्छा दिखाई दे रहा है. इंजीनियरों को अगले महीने तक इसमें किसी भी बड़ी खराबी आने की आशंका अभी नहीं है. वेब इन्फ्रारेड वेधशाला के 21-फुट (6.5-मीटर) आकार के मिरर पर सोना मढ़ा गया है. ये अंतरिक्ष में अब तक छोड़ा गया सबसे बड़ा मिरर है. टेलिस्कोप पर लगे एक इन्फ्रारेड कैमरे ने मिरर की एक तस्वीर खींची है.
नासा ने हर मिरर से स्टारलाईट की चमक के साथ सेल्फी जारी की. स्टारलाईट के 18 बिंदु एक काली रात के आकाश में चमकदार जुगनू लगते हैं. एरिजोना विश्वविद्यालय के इन्फ्रारेड कैमरे के प्रमुख वैज्ञानिक मार्सिया रीके ने कहा कि इस परियोजना के साथ 20 वर्षों के जुड़ाव के बाद अब तक सब कुछ इतनी अच्छी तरह से काम करते हुए देखना, अविश्वसनीय रूप से संतोषजनक है. वेब स्पेस टेलीस्कोप ने दिसंबर में दक्षिण अमेरिका से अपनी यात्रा शुरू की और पिछले महीने अपने निर्धारित लक्ष्य 1 मिलियन मील (1.6 मिलियन किलोमीटर) दूर पहुंच गया.
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