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    कोरोना ही नहीं अन्य संक्रमक को भी रोक सकता है नेजल टीका, विशेषज्ञों का दावा

  • September 07, 2022

    नई दिल्‍ली । संक्रमण (infection) से बचाव के लिए मांसपेशियों के जरिये कोरोना रोधी टीका देने के बाद अब नाक के जरिये यानी नेजल टीका (Nasal Vaccine ) की शुरुआत हो गई है। विभिन्न देशों में 100 से भी ज्यादा फार्मा कंपनियां नेजल टीका से जुड़े अध्ययन और उत्पादन में जुटी हुई हैं।

    विशेषज्ञों की मानें तो आगामी समय में न सिर्फ कोरोना (corona), बल्कि अन्य तरह के संक्रामक रोगों के खिलाफ नेजल तकनीक मददगार साबित हो सकती है। यह तकनीक न सिर्फ लोगों में एंटीबॉडी (Antibodies) विकसित करता है बल्कि संक्रमण के प्रसार को भी रोकने में मददगार है।

    नेफ्रॉन क्लीनिक के चेयरमेन डॉ. संजय बगाई का कहना है कि फार्मा कंपनियों को यह भी उम्मीद है कि इस तकनीक की मदद से संक्रमण के हल्के मामलों को रोक सकते हैं और इसके प्रसार को भी नियंत्रण में लाया जा सकता है। इसे स्टेरलाइजिंग इम्यूनिटी के रूप में जाना जाता है। कुछ म्यूकोसल टीके पहले से ही अन्य बीमारियों के लिए स्वीकृत हैं, जिनमें इन्फ्लूएंजा के खिलाफ स्प्रे करने योग्य टीका भी शामिल है।


    फिलहाल सुई वाली टीका ज्यादा असरदार
    विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा समय में मांसपेशियों के जरिये दी जाने वाले कोरोना रोधी टीका काफी बेहतर परिणाम दिखा रहे हैं। नई दिल्ली स्थित आरएमएल अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अमित कुमार का कहना है कि इसका एक कारण मांसपेशियों में टीका इंजेक्ट करना है। उन्होंने बताया कि इंट्रा मस्कुलर शॉट्स एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत देते हैं, जिसमें टी कोशिकाएं शामिल हैं। इससे दवा सीधे कोशिकाओं में पहुंचती है।

    20 टीके परीक्षण तक पहुंचे
    लंदन की हेल्थ एनालिटिक्स कंपनी एयर फिनिटी के अनुसार, दुनियाभर में अब तक करीब 20 नाक से दिए जाने वाले टीके परीक्षण तक पहुंचे हैं, जिनमें से चार भारत व ईरान और दो चीन में तीसरा अध्ययन पूरा कर चुके हैं। कुछ अभी परीक्षण की स्थिति में है।

    एहतियाती खुराक के रूप में भी कारगर
    नाक के जरिये दिया जाने वाला टीका इनकोवैक एहतियाती खुराक के रूप में भी 94 फीसदी तक कारगर है। यह टीका निजी व सरकारी, सभी केंद्रों में मिलेगा। गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र व तेलंगाना में उत्पादन होगा। इसका भंडारण भी आसान है। 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है।
    देशभर के 14 अस्पतालों में चार हजार से ज्यादा लोगों पर इस टीके का अध्ययन किया गया।
    यह चिंपैंजी एडिनोवायरस वेक्टर तकनीक पर तैयार हुआ है और कोवाक्सिन का उन्नत स्वरूप है।
    वायरस को यह टीका ऊपरी श्वसन तंत्र में ही रोक लेता है वायरस। देश का यह 15वां टीका है।

    दुनिया का पहला ऐसा टीका
    यह भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की पहली इंट्रा नेजल वैक्सीन है। यह वैश्विक स्तर पर गेम चेंजर साबित होगी। कोरोना ही नहीं, इस तकनीक से भविष्य के संक्रामक रोगों से भी निपट सकते हैं। -डॉ. कृष्णा एला, भारत बायोटेक

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