वाशिंगटन। कोरोना(Corona) की एकल खुराक(Single dose) वाली दवा जल्द ही बाजार में आ सकती है। नाक के रास्ते दी जाने वाली इस वैक्सीन(nasal vaccine) का चूहों पर परीक्षण सफल रहा। शोध के मुताबिक यह चूहों को घातक संक्रमण से बचाने के साथ ही सार्स सीओवी-2 (SARS CoV-2) को फैलने से भी रोकता है। साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक नई वैक्सीन नाक ( nasal vaccine) के रास्ते वैसे ही दी जाती है जैसे इन्फ्लूएंजा के खिलाफ वैक्सीन दी जाती है।
अमेरिका की जॉर्जिया युनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल मैक्रे ने बताया कि मौजूदा समय में कोरोना की जो वैक्सीन उपलब्ध है वह काफी कारगर है, लेकिन दुनिया की अधिक से अधिक आबादी अभी भी वैक्सीन नहीं लगवा सकी है, लिहाजा ऐसी वैक्सीन की जरूरत है जिसे लगाना आसान हो और संक्रमण को फैलने से रोक सके।
अगर कोरोना की नई स्प्रे वैक्सीन इन्सानों पर प्रभावी होती है तो यह संक्रमण को फैलने से रोक सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन की एक ही खुराक काफी है और इसे फ्रीज के सामान्य तापमान में कम से कम तीन महीने तक रखा जा सकता है। वैक्सीन के जरिये सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए एक हानिरहित पैरैनफ्लुएंजा वायरस 5 (पीआईवी5) का उपयोग किया जाता है, जो रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रिया को प्रेेरित कर कोविड-19 संक्रमण से बचाता है। अध्ययन से पता चला है कि टीके ने चूहों में कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रिया शुरू की। इसमें कहा गया है कि टीके ने फेरेट में भी संक्रमण भी रोका। नाक के जरिये दी जाने वाली यह वैक्सीन म्युकोसेल पर को निशाना बनाती है, जिसके जरिये मुख्य रूप से कोरोना का संक्रमण शरीर में प्रवेश करता है और यहीं से वायरस अपना विस्तार करता है। यहां से वायरस शरीर में पहुंचकर सीधा फेफड़े और शरीर के अन्य हिस्सों को निशाना बनाता है, जिससे बीमारी और भी गंभीर और घातक हो जाती है।