नई दिल्ली (New Dehli) । धरती (Earth)की तरफ तेजी से बढ़ रहे क्षुद्रग्रह (asteroid)बेन्नू को लेकर नासा ने नया खुलासा (exposure)किया है। तीन साल पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बेन्नू से नमूने एकत्र (collect samples)किए थे, वैज्ञानिकों की टीम ने बुधवार को बताया कि बेन्नू के अंदर क्या-क्या मौजूद है। नासा के मुताबिक, बेन्नू पानी और कार्बन से बना है। दो दोनों तत्व धरती के निर्माण में भी महत्वपूर्ण हैं। यह खोज इस परिकल्पना को भी बल देती है कि धरती पर जीवन का मूल आधार बाह्य अंतरिक्ष से उत्पन्न हुआ। बेन्नू बेहद विशाल क्षुद्रग्रह है, जिसे लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पृथ्वी से टकरा सकता है, जब ऐसा होगा तो धरती पर 1200 मेगाटन ऊर्जा निकलेगी जो किसी भी परमाणु विस्फोट से 24 गुना ज्यादा शक्तिशाली है।
क्षुद्रग्रह बेन्नू को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके धरती से टकराने की संभावना सिर्फ 0.037 प्रतिशत है। साल 1999 में खोजा गया बेन्नू 159 वर्षों में पृथ्वी से टकरा सकता है। NASA की OSIRIS-REx टीम के मुताबिक, क्षुद्रग्रह 2182 में पृथ्वी से टकरा सकता है। क्षुद्रग्रह बेन्नू का आकार न्यूयॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी बड़ा बताया जा रहा है।
4.5 अरब वर्ष पुराने इस क्षुद्रग्रह से लिया गया नमूना किसी क्षुद्रग्रह की सतह से लिया गया अब तक का सबसे बड़ा मिट्टी का नमूना है। तीन साल पहले OSRIS-REx अंतरिक्ष यान द्वारा एकत्र किए गए क्षुद्रग्रह नमूने का ह्यूस्टन में NASA के जॉनसन स्पेस सेंटर में अनावरण किया गया था। यह नमूना पृथ्वी पर आने के दो सप्ताह से कुछ अधिक समय बाद आया है। यह यूटा रेगिस्तान में पैराशूट से उतरा था।
बेन्नू के अंदर वैज्ञानिकों को क्या मिला
नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने एक प्रेस कार्यक्रम में कहा, “पहले विश्लेषण से पता चलता है कि नमूनों में हाइड्रेटेड मिट्टी के खनिजों के रूप में प्रचुर मात्रा में पानी है।” उन्होंने कहा, “यह पृथ्वी पर लौटा अब तक का सबसे बड़ा कार्बन समृद्ध क्षुद्रग्रह नमूना है।” इसमें खनिज और कार्बनिक अणुओं दोनों के रूप में कार्बन शामिल है।
बेन्नू से मिले नमूने इतने महत्वपूर्ण क्यों है?
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, बेन्नू की सतह से प्राप्त नमूने धरती के निर्माण को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने में सक्षम हैं। पृथ्वी पर लौटने वाला यह केवल तीसरा क्षुद्रग्रह नमूना है और अब तक का सबसे बड़ा। इससे पहले, जापान ने अपने दो ऐसे ही मिशनों के माध्यम से बहुत छोटे क्षुद्रग्रह के नमूने प्राप्त किए थे।
200 वैज्ञानिक करेंगे विश्लेषण
अनुमान के मुताबिक, लैंडिंग के समय बेन्नू नमूने का वजन लगभग 100 से 250 ग्राम (3.5 से 8.8 औंस) था। इससे पहले, लैंडिंग स्थल के पास यूटा परीक्षण और प्रशिक्षण रेंज में कैप्सूल और इसकी सामग्री दोनों की जांच की जा रही थी।
इसके बाद, कैप्सूल को जॉनसन सेंटर ले जाया गया, जहां इसका आंतरिक कनस्तर खोला गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि नमूनों को छोटे नमूनों में पार्सल किया जा सके। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये नमूने दुनिया भर की 60 प्रयोगशालाओं में लगभग 200 वैज्ञानिकों के पास जाएंगे।
गौरतलब है कि ये आकाशीय नमूने एक साल पहले बेन्नू से एकत्र किए गए थे। “पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वस्तु” के रूप में वर्गीकृत बेन्नू हर छह साल में पृथ्वी के करीब से गुजरता है। यह क्षुद्रग्रह चट्टानों के संग्रह से बना है और कार्बन से समृद्ध है, जो बताता है कि धरती पर जीवन का निर्माण बाह्य अंतरिक्ष से हुआ है।
बेन्नू का व्यास केवल 500 मीटर या 1,640 फीट है, जिसका अर्थ है कि यह चिक्सुलब क्षुद्रग्रह की तुलना में छोटा है जो लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी से टकराया था और उसने डायनासोरों का सफाया कर दिया था। भले ही बेन्नू हर कुछ वर्षों में पृथ्वी के पास से गुजरता है, इसके आगामी 159 साल में धरती से टकराने की संभावना है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि क्षुद्रग्रह पृथ्वी से विनाशकारी टक्कर मार सकता है। उनका अनुमान है कि जिस आपदा के घटित होने की 2700 में से एक संभावना होती है, वह वर्ष 2182 तक नहीं होगी। यह एक और कारण है कि बेन्नू की रचना को समझना काम आ सकता है।
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