वाशिंगटन (Washington)। अमेरिका (America) की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Space agency NASA) अब एक बार फिर मंगल ग्रह पर विमान उड़ाने (Flying plane to Mars) वाली है। दूसरे ग्रह पर उड़ने वाले हेलिकॉप्टर का वजन 1.8 किलो है। नासा ने इसका नाम इनजेनिटी (Ingenuity) रखा है, जिस गिन्नी उपनाम (Nickname Ginny) से भी बुलाया जा सकता है। यह परियजोना (project) नासा के प्रेजरवेंस रोवर (NASA’s Preservation Rover) का ही एक हिस्सा है, जिसे 2020 में लॉन्च किया गया था। रोवर अब भी मंगल ग्रह पर सक्रिय है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. जे बॉब बलराम (Indian-American scientist Dr. J. Bob Balram) ने इनजेनिटी को डिजाइन किया है। नासा का कहना है कि इनजेनिटी तकनीक का एक चमत्कार है। यह अल्ट्रा-लाइट वजन वाले कार्बन फाइबर से बना है और केवल आधा मीटर लंबा है। इनजेनिटी को उड़ाने वाले ब्लेड 2400 और 2900 आरपीएम पर घूमते हैं। बता दें, यह पृथ्वी पर किसी भी हेलीकॉप्टर की तुलना में लगभग 10 गुना तेज है।
अब तक 64 उड़ानें भर चुका हेलिकॉप्टर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 19 अप्रैल, 2021 को इनजेनिटी ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। इस दौरान, हेलिकॉप्टर जमीन से लगभग तीन मीटर ऊपर उड़ा और थोड़ी देर हवा में घूम कर एक मोड पूरा कर लिया। मंगल के बेहद पतले वातावरण में नियंत्रित उड़ान हासिल करना एक बड़ा मील का पत्थर था। यह पृथ्वी से परे दुनिया की पहली उड़ान भी थी। अब तक, इसने मंगल ग्रह के पतले वातावरण में 64 उड़ानें भरी हैं।
जानिए, कौन हैं भारतीय मूल के वैज्ञानिक
डॉ जे बॉब बलराम वर्तमान में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला या जेपीएल में कार्यरत हैं। बलराम ने आईआईटी, मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। डॉ. बलराम का कहना है कि वह शीघ्र ही नासा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अब वह भारतीय छात्रों की मदद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी मद्रास में उनके व्यावहारिक प्रशिक्षण ने इनजेनिटी उड़ान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उनके जैसे सैकड़ों छात्र हैं, जो आगे बढ़ सकते हैं और भारत को गौरवान्वित कर सकते हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved