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अब नए मिशन में जुटा NASA… सुनीता विलियम्स समेत सभी अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर देगा ध्यान

  • March 20, 2025

    नई दिल्ली । एक भारतीय मूल (Indian values)की बेटी, जिसने अंतरिक्ष (space)को अपना दूसरा घर बनाया, एक बार फिर हमारे बीच लौट आई हैं. हम बात कर रहे हैं सुनीता विलियम्स (Sunita Williams)की, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्टेशन(International Stations) यानी ISS पर करीब 9 महीने बिताने के बाद बुधवार को अमेरिका के फ्लोरिडा में सुरक्षित लैंडिंग की. इस मिशन में उन्होंने न सिर्फ खुद को बल्कि पूरे भारत और दुनिया को गर्व से भर दिया है. उनकी लैंडिंग की तस्वीरों से लेकर हिंदुस्तान में उनके परिजनों के गांव में जश्न के लम्हे वास्तव में अद्भुत हैं.

    इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से सुनीता विलियम्स और उनके 3 और साथियों को लेकर चले ड्रैगन कैप्सूल को रात के 2 बजकर 41 मिनट पर वायुमंडल में प्रवेश करना था. इस कैप्सूल में चारों अंतरिक्ष यात्री स्पेशल प्रेशर जैकेट पहने सवार थे. धड़कनें तेज थीं. नासा के मुख्यालय में हजारों वैज्ञानिक हर पल पर नजरें जमाए हुए थे. दुनिया भर में करोड़ों लोग टीवी पर इस लम्हे को LIVE देख रहे थे. रात के ठीक 2 बजकर 41 मिनट पर डीऑर्बिट बर्न शुरू हुआ. इसके साथ ही स्पेसक्राफ्ट की धरती के वातावरण में एंट्री हो गई. सबसे पहले दो पैराशूट दिखे, जिसने ड्रैगन कैप्सूल की रफ्तार को नियंत्रित किया. इसके कुछ पल बाद ही दो और पैराशूट खुल गए. इन चारों पैराशूट की मदद से कैप्सूल की रफ्तार बेहद धीमी हो गई और फिर फ्लोरिडा के समंदर में स्प्लैश लैंडिंग हुई.

    चारों अंतरिक्ष यात्री ऐसे हुए लैंड


    लैंडिंग होते ही तीन स्पीड बोड स्पेसक्रॉफ्ट की तरफ बढ़ने लगी. सबसे पहले तारों का एक घेरा बनाया गया ताकि उसकी मदद से कैप्सूल को जहाज में रखा जा सके. पहले अंतरिक्ष और फिर आसमान की हर तस्वीर को नजरों में बसा लेने के बाद अब बारी थी. फ्लोरिडा के समंदर की लहरों पर तैरते ड्रैगन कैप्सूल को निहारने की. एक तरफ नासा की स्पीड बोड दिख रही थी तो दूसरी तरफ समंदर की परियां डॉल्फिंस भी जैसे अंतरिक्ष की परी सुनीता की झलक पाने को बेताब दिख रही थीं. अब हर किसी को इंतजार था सुनीता विलियम्स समेत चारों अंतरिक्ष यात्रियों की झलक का. आखिरकार वो लम्हा भी आ गया. सुनीता विलियम्स जैसे ही ड्रैगन स्पेसक्राफ्स से बाहर निकलीं तो दुनिया भर के लिए ये खुशी और राहत वाला लम्हा था. उनकी पहली तस्वीर हौसलों और हिम्मत से ऐसे भरी थी जिसकी मिसाल दुनिया भर में अरसे तक दी जाती रहेगी.

    थकान को दिल में छिपाए उनके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ खुशी दिख रही थी. हाथ हिलाकर उन्होंने वहां मौजूद लोगों का अभिवादन किया. फिर दो लोगों की मदद से उन्हें स्ट्रेचर से बाहर निकाला गया और फिर व्हील चेयर पर बिठाया गया. करीब 9 महीने बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण में वापसी की वजह से वो शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर हुई हैं. लेकिन, उनकी इस एक मुस्कान में पूरी दुनिया को हिम्मत और उम्मीदों की नई किरण दिखाई दी. यही जोश और जुनून बाकी अंतरिक्ष यात्रियों में भी दिख रहा था. आखिरकार 286 दिनों तक स्पेस स्टेशन में फंसे अंतरिक्ष यात्रियों को सकुशल धरती पर वापस लाने के नासा और स्पेसएक्स के मिशन पर कामयाबी की मुहर लग गई.

    NASA का ध्यान अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी पर

    अब सवाल उठता है कि आगे क्या? सुनीता विलियम्स और उनके साथ अंतरिक्ष से लौटे बाकी साथियों की रिकवरी कैसे होगी. कितने दिनों तक इन सभी को नासा के विशेषज्ञों की देखरेख में रहना होगा? उनके स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ढेर सारे सवाल हैं जो उनके चाहने वालों के मन में हैं. इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों से शारीरिक और मानसिक तौर पर अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी की प्रक्रिया जानने की कोशिश की है. दरअसल, मानसिक तौर पर आप जितने चाहें मजबूत हों लेकिन बिना गुरुत्वाकर्षण के शरीर कई ऐसी बीमारियों से घिर जाता है जिनसे उबरने में काफी वक्त लगता है. इन 9 महीनों के दौरान सुनीता विलियम्स की कई तस्वीरों में साफ तौर पर उनकी शारीरिक कमजोरी दिखी है. अब जब उनकी वापसी हो गई है तो नासा की प्राथमिकता सुनीता समेत बाकी अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी की होगी.

    इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है

    अंतरिक्ष में इतने लंबे वक्त तक रहने की वजह से अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां बेहद कमजोर हो जाती हैं. इनके अलावा चूंकि हड्डियों पर दबाव नहीं पड़ता, इसलिए बोन डेंसिटी कम हो जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. वहां खून का बहाव चूंकि ऊपर की ओर होता है, इसलिए चेहरा फूल जाता है और नाक बंद होने की आशंका के साथ साथ सूंघने में दिक्कत बढ़ जाती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा की स्टडी तो ये भी कहती है कि रेड ब्लड सेल्स खत्म होने से ऑक्सीजन का प्रवाह कम होता है और कमजोरी के साथ थकान भी बढ़ जाती है. ब्लड सर्कुलेशन की दिक्कतें दिल के साथ साथ दिमाग पर भी असर डालती हैं.

    जाहिर है, ये सारी दिक्कतें सुनीता विलियम्स भी झेल रही होंगी, लेकिन जुनून और जज्बा देखिए कि जब वो ड्रैगन कैप्सूल से बाहर आईं तो सारी कमजोरियों और थकान पर विजय हासिल करते हुए दुनिया को जैसे एक ही संदेश दे रही थीं कि धैर्य रखो, खुद पर भरोसा करो और तकनीक की ताकत पर विश्वास करो. अब नासा का अगला मिशन होगा इन अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी. तमाम तरह की जांच के बाद स्पेशल एक्ससाइज के साथ इनकी पॉवर ट्रेनिंग होगी और विटामिन डी समेत रिच डाइट दी जाएगी

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