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    NASA ने किया अलर्ट, धरती की तरफ तेजी से आ रही बड़ी आफत

  • November 08, 2021

    नई दिल्ली। अंतरिक्ष (Space) में कई बार घूम रहे क्षुद्रग्रह जिसको एस्टेरॉयड (Asteroid) कहा जाता है, यह धरती (Earth) के लिए खतरा पैदा कर देते हैं। पहले भी ऐसा कई बार देखा गया है जब इन एस्टेरॉयड्स (Asteroids)की वजह से धरती को नुकसान पहुंचा है।इसी बीच हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (american space agency) नासा (NASA) ने चेतावनी दी है कि एक विशाल एस्टेरॉयड धरती की ओर बड़ रहा है। इस एस्टेरॉयड का आकार फ्रांस (France) के एफिल टॉवर (Eiffel Tower) से भी बड़ा है। नासा की ओर से T4660 (Nereus) को ‘संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रह’ (Potentially Hazardous Asteroid) माना जा रहा है।नासा की मानें तो, अंडे के आकार जैसा और फुटबॉल पिच के आकार का लगभग तिगुना एस्टेरॉयड 11 दिसंबर को पृथ्वी के करीब आएगा. यह 330 मीटर लंबा है, जो इसे बाकी सभी क्षुद्रग्रहों के 90% बड़ा बनाता है. हालांकि, स्पेस रेफरेंस के अनुसार, यह बड़े लोगों की तुलना में छोटा है।

    हर 664 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करता है एस्टेरॉयड
    इस एस्टेरॉयड के धरती से टकराने पर परिणाम भयानक हो सकता है लेकिन राहत की बात यह है कि यह हमारी धरती से काफी दूर से गुजर जाएगा और इतना ही नहीं धरती से होकर गुजरने के बाद इस तरह एस्टेरॉयड कम से कम 10 साल तक यहां नहीं आएगा।यह Nereus हमारे ग्रह के लिए खतरा पैदा नहीं करेगा और 3.9 मिलियन किलोमीटर की दूरी से उड़ान भरेगा, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 10 गुना अधिक है।आपको बता दें नासा के अनुसार, क्षुद्रग्रह हर 664 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करता है। यह बहुत दूर से पृथ्वी के पास से गुजरेगा और 2 मार्च 2031 तक फिर से ग्रह के करीब नहीं आने की भविष्यवाणी की गई है।


    1982 के अपोलो ग्रुप का ही सदस्य एस्टेरॉयड है Nereus
    NASA की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि Nereus साल 1982 में खोजे गए अपोलो ग्रुप का ही सदस्य एस्टेरॉयड है।यह भी सूरज के ऑर्बिट से होकर धरती के पास से गुजरेगा, जैसा इससे पहले के एस्टेरॉयड करते रहे हैं।फिलहाल अच्छी बात यह है, कि 11 दिसंबर तक धरती के बेहद पास से गुजरने वाले इस एस्टेरॉयड से धरती को कोई खतरा नहीं होगा।अन्य अपोलो-श्रेणी के क्षुद्रग्रहों की तरह, नेरेस की कक्षा इसे अक्सर पृथ्वी के करीब रखती है।यह वास्तव में पृथ्वी की प्रत्येक कक्षा के लिए लगभग 2 बार परिक्रमा करता है, जिससे क्षुद्रग्रह का पता लगाने के लिए मिशन आसान हो जाता है।

    ऐसे मिशन में नासा भी हो चुका है नाकाम
    नासा के वैज्ञानिक पहले ही नेरेस क्षुद्रग्रह के लिए मिशन प्रस्तावित कर चुके हैं। लेकिन विभिन्न कारणों से योजनाएं कभी अमल में नहीं आ पाईं। अंतरिक्ष एजेंसी नियर अर्थ एस्टेरॉयड रेंडीजवस – शोमेकर (नियर शोमेकर) को क्षुद्रग्रह की जांच भेजना चाहती थी। दूसरी ओर, जापान ने रोबोटिक अंतरिक्ष यान हायाबुसा (Hayabusa) को नेरेस भेजने का आंकलन किया था।

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