- योजना में घटिया के 7 और तराना के 77 गाँव की 30 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी दिया जाना है
उज्जैन। नर्मदा-शिप्रा के दूसरे चरण की बहुउद्देशीय योजना के लोकार्पण को साढ़े चार साल पूरे हो गए हैं और सरकार इतने सालों में यह महत्वपूर्ण योजना पूरी नहीं कर पाई और इस योजना से क्षेत्र ेमें सिंचाई का रकबा बढ़ता तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि होती।
उज्जैन, नागदा, उन्हेल के लोगों की पेयजल एवं औद्योगिक जरूरतों को नर्मदा के जल से पूरा कराने और घट्टिया के 7 और तराना के 77 गाँवों की 30 हजार हेक्टेयर जमीन को सींचने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 26 सितंबर 2018 को नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देशीय योजना का भूमिपूजन किया था। यह योजना 2023 तक पूरी होना थी लेकिन आज भी अधूरी है। किसानों को रबी की सिंचाई के लिए नर्मदा का पानी देने का वादा पूरा नहीं हो सका। 1856 करोड़ रुपये की नर्मदा-शिप्रा बहुउद्देश्यीय योजना का लोकार्पण कब होगा किसी को पता नहीं है। ढाई साल की परियोजना साढ़े चार साल बाद भी अधूरी है।
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने घट्टिया और तराना तहसील के किसानों को इस वर्ष रबी सीजन (अक्टूबर से दिसंबर) में खेतों की सिंचाई के लिए नर्मदा का पानी देने का जो वादा किया था वो भी अब तक पूरा न हो पाया है। इस महत्वपूर्ण परियोजना को समय सीमा में पूरा न कराने को लेकर न किसी अफसर पर कार्रवाई हुई है और ना किसी की जिम्मेदारी तय हुई है। परियोजना पूरी करने में बाधा बना जमीन विवाद अब भी उलझा पड़ा है। भूमि पूजन के समय कहा गया था कि अगले ढाई वर्ष में (जनवरी 2022 तक) ओंकारेश्वर जलाशय से 15 क्यूसेक (15 घन मीटर प्रति सेकंड) नर्मदा का जल शिप्रा, गंभीर और काली सिंध नदी के कछारों तक 1400 मिलीमीटर व्यास की पाइपलाइन बिछाकर पहुंचाया जाएगा। इससे उज्जैन, शाजापुर, मक्सी में जल संकट सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। साढ़े चार साल गुजरने को आए हैं और योजना अब भी मुहाने पर आकर रुकी हुई है। योजना के संबंध में जानकारी देते हुए उज्जैन पीएचई के सहायक यंत्री मनोज खैरात ने बताया कि ठेकेदार काम नहीं कर रहा है बीच-बीच में आता है और फिर काम बंद कर देता है। ठेकेदार को नगर निगम द्वारा नोटिस जारी कराया जा रहा है इसके बाद भी अगर वह लापरवाही करता है तो ठेकेदार और उसकी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड घोषित किया जाएगा।