जबलपुर। अगर पर्यावरण की कल्पना करनी हैं तो उसमें नदियों को भी शामिल करना होगा, क्योंकि नदियों के बिना पर्यावरण का वजूद नहीं होता। नदियां हैं तो पानी है, और पानी है तो जीवन है। यही वजह है कि दुनिया की हर मानव सभ्यता नदियों के किनारे ही विकसित हुई हैं। दुनिया की प्राचीनतम नदियों में शुमार नर्मदा में प्रदूषण के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे मे सरकार की एक ईमानदार कोशिश मध्यप्रदेश की इस जीवन रेखा के हालात बदल सकती है।
मां नर्मदा मप्र की जीवन रेखा ही नहीं देशवासियों की आस्था का भी केन्द्र है। गंगा की तर्ज पर मां नर्मदा को भी प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास की योजना मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बनाई है, जिसके लिए नदी का प्रदूषण मापने प्रदेश भर के 9 जिलों के 10 घाटों पर रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम जल्द लगाने वाला है।मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के बाद डिण्डौरी, मंडला, जबलपुर के ग्वारीघाट, नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट, सीहोर जिले में शाहगंज, देवास जिले में नेमावर, खंडवा में ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर, धार जिले के धरमपुरी, बड़वानी के राजघाट और अलीराजपुर के ककराना घाट में ये अत्याधुनिक सिस्टम लगाने को बजट स्वीकृति मिल गई है। हर लोकेशन पर 40 लाख रुपयों की लागत से बनने वाला ये फ्लोटिंग सिस्टम नदी की सतह पर तैरेगा, जिसके सेंसर पानी के भीतर गहराई तक रहेंगे, सेंसर के जरिए नर्मदा में बह रहे पानी की शुद्धता पर वैज्ञानिक नजर रहेगी।
नदी में पानी के पीएच लेवल, रिजर्व ऑक्सीजन, बीओडी, सीओडी और टोटल डिजॉल्व सॉलिड सहित प्रदूषण के तमाम मानकों की जांच 24 घंटे होगी। इंटरनेट के ज़रिए हर पल हो रही ये मॉनिटरिंग घाटों पर डिजिटल स्क्रीन पर लगातार डिस्प्ले की जाएगी। राउंड दी क्लॉक मॉनीटरिंग सिस्टम से नर्मदा में प्रदूषण की मौजूदा स्थिति घाटों पर मौजूद हर व्यक्ति को दिखाई देगी।नर्मदा में प्रदूषण की स्थिति जांचने का पैनामा पूरी तरह मैन्युअल है, जिसमें हर माह अलग-अलग घाट से पानी लेकर जांच की जाती है, इसमें हर माह बदलने वाली स्थिति से प्रदूषण का सटीक आंकलन नहीं हो पाता। नदी में लगाए जाने वाले सेंसर पानी में मौजूद बायो केमिकल, आक्सीजन डिमांड, डिजाल्व ऑक्सीजन, कैमिकल आक्सीजन डिमांड, टोटल डिजाल्वड सालिड,क्लोराइड, पीएच, एयर क्वालिटी इंडेक्स के बारे में जानकारी देंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved