भोपाल। मध्य प्रदेश (MP) में जीवनदायिनी मानी जाने वाली नर्मदा नदी (Narmada River) सबसे ज्यादा प्रदूषित (Pollution) हो रही है। उसमें भी जबलपुर में सबसे गंदगी नदी में डाली जा रही है, जहां भेड़ाघाट और मार्बल रॉक्स में कल-कल करती नर्मदा का नजारा अद्भुत है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है।
मध्यप्रदेश में मां नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन के दावों की पोल खोलती हुई एक रिपोर्ट ने हर किसी को चौंका दिया है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की हाल ही में आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पूरे सूबे में नर्मदा में सबसे ज्यादा प्रदूषण जबलपुर में हो रहा है।
एमपी में सबसे ज्यादा प्रदूषण
जीवनदायिनी मां नर्मदा का आंचल मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि पूरे प्रदेश में रोजाना 150 एमएलडी से ज्यादा गंदगी मां नर्मदा में मिल रही है. इसमें से सबसे ज्यादा जबलपुर में रोज 136 एमएलडी याने मिलियन लीटर पर गंदगी नर्मदा के जल में मिल रही है. कहने को बीते एक दशक में नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन पर करोड़ों रुपए फूंके जा चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि धरातल पर सभी बातें शायद कागजों तक ही सीमित रह गई हैं. ना केवल जबलपुर बल्कि प्रदेश के कई बड़े शहर नर्मदा के आंचल को दूषित कर रहे हैं।
आंकड़ों में समझें तो-
सबसे ज़्यादा 136 एमएलडी गंदगी रोजाना नर्मदा में जबलपुर से मिल रही है
– ओमकारेश्वर में रोजाना 0. 32 एमएलडी गंदगी
– महेश्वर में रोजाना 3.2 एमएलडी गंदगी
– विश्व पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में रोजाना 0. 63 एमएलडी गंदगी
– बुधनी में 1.5 एमएलडी गंदगी
– होशंगाबाद में 10 एमएलडी गंदगी रोजाना नर्मदा में मिल रही है.
वॉटर और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आदेश
इस मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल याने एनजीटी में याचिका दायर की गयी है। इसमें बताया गया है कि नर्मदा में गंदे नाले नाली मिलाए जा रहे हैं. अतिक्रमण हो रहे हैं जिसकी वजह से लगातार नदी का जल दूषित हो रहा है. इसके पहले ही एनजीटी ने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट समेत वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के आदेश दिए थे. पीसीबी की रिपोर्ट आने के बाद एनजीटी ने जिला प्रशासन को तत्काल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के आदेश दिए हैं।
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