भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की सिंचाई परियोजनाएँ बड़ी लागत की होती हैं, इनका उपयोग पूरा-पूरा होना चाहिए। साथ ही परियोजनाओं को स्वीकृत करने से पहले इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए कि उनका निर्माण समय-सीमा में हो और जनता के लिए पूर्ण रूप से उपयोगी हों। योजनाएं बनाते समय सारे तथ्यों को अच्छी तरह जांच परख लें, जल्दबाजी न करें। परियोजनाएँ परफेक्ट होनी चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि निर्माण के समय गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाए, जनधन का सही उपयोग होना चाहिए। कार्यों में यदि कोई भी लापरवाही होती है अथवा गलत भुगतान किया जाता है तो मैं जिम्मेदार व्यक्तियों को छोडूंगा नहीं। नियमानुसार कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की पूर्ण एवं निर्माणाधीन परियोजनाओं से प्रदेश के 30 लाख 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
सात नई परियोजनाओं पर होगा काम
स्वीकृत 7 परियोजनाओं शक्कर पेंच लिंक संयुक्त परियोजना नरसिंहपुर-छिंदवाड़ा, कुक्षी माइक्रो सिंचाई परियोजना धार, दूधी परियोजना होशंगाबाद-छिंदवाड़ा, हार्डिया बराज परियोजना हरदा, राघवपुर बहुउद्देशीय परियोजना डिंडोरी, बसानिया बहुद्देशीय परियोजना मंडला तथा होशंगाबाद बराज परियोजना के लिए निविदाएँ जून माह में आमंत्रित की जाएंगी। इन परियोजनाओं की कुल लागत 15 हजार 568 करोड़ रूपये है। इनसे प्रस्तावित सिंचाई क्षेत्र 2 लाख 87 हजार 616 हेक्टेयर है।
नर्मदा जल उपयोग की समय-सीमा 2024
नर्मदा वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल अवार्ड 1979 के अनुसार मप्र को 18.25 एमएएफ (1 एमएएम = 1233.47 एमसीएम) नर्मदा जल आवंटित किया गया है, जिसका प्रयोग वर्ष 2024 तक किया जाना है। स्वीकृत तीन परियोजनाओं में अपर नर्मदा परियोजना डिंडोरी लागत 1483 करोड़ रुपए प्रस्तावित सिंचाई क्षमता 45 हजार 600 हेक्टेयर, चिंकी बोरास बराज संयुक्त बहुउद्देशीय परियोजना नरसिंहपुर लागत 5839 करोड़ रूपये प्रस्तावित सिंचाई क्षेत्र 1 लाख 31 हजार 925 हेक्टेयर तथा सांवेर माइक्रो सिंचाई परियोजना इंदौर-खरगोन-उज्जैन लागत 3047 करोड़ रूपये प्रस्तावित सिंचाई क्षेत्र 80 हजार हेक्टेयर के लिए निविदाएँ आमंत्रित की गई है।
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