– रमेश सर्राफ धमोरा
हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जनता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू रत्ती भर भी कम नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर जैसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पूर्व पंजाब को छोड़कर चारों प्रांतों में भाजपा की सरकार थी। लगातार पांच साल सत्ता में रहने के कारण भाजपा को सत्ता विरोधी लहर से नुकसान होने के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसे में सभी प्रदेशों में फिर से एक बार सरकार बनाना भाजपा के समक्ष एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन पार्टी ने इसे संभव कर दिखाया।
उत्तर प्रदेश को लेकर तो सभी राजनीतिक समीक्षकों का मानना था कि इस चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से दूर रहेगी। अधिकांश विश्लेषकों व पत्रकारों का भी मानना था कि वहां पर अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी गठबंधन की सरकार बनेगी। ऐसा इसलिए माना जा रहा था क्योंकि किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाता भाजपा से बहुत नाराज थे।
किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश होने के कारण नरेश टिकैत जैसे किसान नेता जाटों को लगातार भाजपा के खिलाफ भड़का रहे थे। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी संवैधानिक पद पर होने के बावजूद लगातार भाजपा पर हमलावर थे। जिससे भाजपा बचाव की मुद्रा में थी। यदि उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में भाजपा की हार हो जाती तो उसका असर आगे कई प्रदेशों के विधानसभा चुनाव व 2024 के लोकसभा चुनाव में भी निश्चय ही पड़ता।
परिस्थितियों को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता विरोधी लहर को समाप्त करने के लिए खुद मैदान में उतरे और पूरे चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली। मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह पूरी तरह से सक्रिय हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां सभी चुनावी राज्यों में ताबड़तोड़ रैलियां की, वहीं अमित शाह ग्राउंड लेवल पर पार्टी को एकजुट करने में लग गए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवों में तो मतदाताओं की नाराजगी दूर करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने घर-घर जाकर वोट मांगकर पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह की मेहनत रंग लाने लगी व पार्टी से नाराज मतदाता धीरे-धीरे फिर से भाजपा खेमे में नजर आने लगे।
चुनावी नतीजे आने पर भाजपा एक बार फिर अपने चारों प्रदेशों में सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि उत्तराखंड में भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए थे। मगर भाजपा वहां फिर से बहुमत में आ गई। पूर्वोत्तर के मणिपुर जैसे प्रदेश में भी पहली बार भाजपा ने 32 सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बना ली। गोवा में भी पार्टी ने पहली बार सबसे अधिक 20 सीटें जीती और आराम से अपनी सरकार बना ली। भाजपा ने चारों ही प्रदेशों में अपने मुख्यमंत्रियों को बरकरार रखा।
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हार जाने के बाद भी उन्हीं को मुख्यमंत्री बनाया गया। क्योंकि पार्टी का मानना था कि कम समय में ही मुख्यमंत्री धामी ने पार्टी की गुटबाजी को दूर कर पूरी एकजुटता से चुनाव लड़ा था। जिसके फलस्वरूप लगातार दूसरी बार भाजपा उत्तराखंड में सरकार बनाने में सफल रही। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा चेहरों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में भी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव हार जाने के बावजूद दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। हालांकि मौर्य अभी विधान परिषद् के सदस्य हैं।
मणिपुर में भाजपा को पहली बार पूरा बहुमत दिलाने पर मुख्यमंत्री एन वीरेंद्र सिंह को इनाम स्वरूप दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं, गोवा में भी युवा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को ही दूसरी बार कमान सौंपी गई। हालांकि अपनी विधानसभा सीट पर प्रमोद सावंत महज 666 वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे मगर उन्होंने चुनाव के दौरान पूरी मेहनत की थी। जिसका फल उन्हें दूसरी बार मुख्यमंत्री बना कर दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी लगातार चुनाव दर चुनाव जीतती जा रही है। पिछले 8 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र में भाजपा की सरकार चला रहे हैं। सदस्यता के मामले में भी भाजपा देश की सबसे अधिक सदस्यों वाली पार्टी बन चुकी है।
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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