भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने अपने विवादित बयान को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। यहां तक कि वे राज्य से लेकर केंद्र सरकार के नेताओं को तक को अपने निशाने पर लेते रहते हैं। यहां तक एक मौका ऐसा भी आया था जब भोपाल में एक थानेदार ने मोदी की कार को रोक दिया था।
आपको बता दें कि 1998 की है जब विधानसभा चुनाव से पहले मोदी को मध्य प्रदेश बीजेपी का प्रभारी नियुक्त किया गया था। मोदी रायपुर से भोपाल लौटे थे और एयरपोर्ट से बीजेपी कार्यालय जा रहे थे। दो कारों में उनके साथ कुछ पत्रकार भी थे। रास्ते में हमीदिया अस्पताल के पास चौराहे पर मोदी की कार रोक दी। तब वहां से मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का काफिला निकलने वाला था। पुलिस ने चौराहे पर ट्रैफिक रोक रखा था जब मोदी वहां पहुंचे थे। कार के ड्राइवर ने पुलिस ऑफिसर से जिरह करने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। फिर कार में बैठे बीजेपी कार्यकर्ता ने नरेंद्र मोदी के होने के बारे में बताया। इसका भी कोई असर नहीं पड़ा। ड्राइवर ने थानेदार को धमकी वाले अंदाज में कहा कि कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। फिर बीजेपी की सरकार बनेगी और तब उसे अपने किए के नतीजे भुगतने होंगे।
पुलिस अधिकारी इससे भी नहीं पिघला और दिग्विजय का काफिला गुजरने तक मोदी को वहीं रुकना पड़ा। दिग्विजय के पॉलिटिकल मैनेजमेंट के आगे मोदी का हर दांव फेल हुआ और वे लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। यह मोदी के करियर की पहली नाकामी थी। इससे पहले वह गुजरात और हिमाचल प्रदेश में प्रदेश प्रभारी रहे थे और दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी थी।
विदित हो कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को जैसे बनारस में नामांकन के लिए 45 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, उसी तरह 1998 में मोदी की कार दिग्विजय सिंह का काफिला निकालने के लिए एक थानेदार ने रोक दी थी। उस समय मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री थे।