– डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विरोधियों द्वारा लाख आरोप-प्रत्यारोप लगाये जाते रहे हों पर इसमें दो राय नहीं कि आज लोकप्रियता में दुनिया के दिग्गज नेताओं में शीर्ष पर कोई नेता है तो वह मोदी ही हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन या रूस के पुतिन हों या अमेरिका के ही पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प, नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के आसपास भी नहीं टिकते हैं। अमेरिका की कंसल्टेंसी फर्म मार्निंग कंसल्ट द्वारा इसी माह की शुरुआत में कराए गए सर्वे में यह साफ हो गया कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले दुनिया के अलग-अलग देशों के 76 फीसदी लोगों की पहली पसंद नरेन्द्र मोदी हैं। लोकप्रियता में नकारने वाले भी केवल 18 फीसदी ही हैं जबकि 6 फीसदी ने अपनी कोई राय उजागर नहीं की। इससे पहले अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश के 10 में से 8 व्यक्ति नरेन्द्र मोदी के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं। यानी देश के 80 फीसदी लोग नरेन्द्र मोदी में विश्वास रखते हैं। 55 फीसदी लोगों की पहली पसंद नरेन्द मोदी है। देश की केवल 20 फीसदी आबादी नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करती है। लोकप्रियता की सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 8 वें पायदान पर हैं।
विश्वव्यापी लोकप्रियता अर्जित करना सामान्य बात नहीं है। हमारे देश के लिए तो यह और भी गर्व की बात हो जाती है कि हमारे नेता की लोकप्रियता दुनिया में पहले पायदान पर है। खास बात यह है कि लोकप्रियता के साथ विश्वसनीयता में भी वे सबसे आगे हैं। लोकप्रियता में अव्वल आना इस मायने में बड़ी बात है कि 76 फीसदी मामूली आंकड़ा नहीं है। यह लोकप्रियता के दूसरे पायदान पर रहे मैक्सिको के राष्ट्रपति एन्ड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर से पूरे दस प्रतिशत अधिक है। यानी नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का आंकड़ा 76 फीसदी है तो दूसरे पायदान पर रहे मैक्सिको के राष्ट्रपति की लोकप्रियता का आंकड़ा 66 फीसदी यानी कि दस फीसदी कम है। सूची के अनुसार तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड, चौथे पर ब्राजील, पांचवें पर आस्ट्रेलिया और छठे पायदान पर इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी हैं। उनकी और नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में पूरे 35 फीसदी का अंतर है।
देखा जाये तो कठोर से कठोर निर्णय भी एक झटके में लेने और भीड़ को अपने पक्ष में कर लेने की क्षमता नरेन्द्र मोदी को लोकप्रियता के शिखर पर पंहुचाती है। वैश्विक सम्मेलनों और मंचों पर ऐसा लगता है जैसे दुनिया के देशों का नेतृत्व नरेन्द्र मोदी ही कर रहे हों। भले ही इतर राय रखने वाले कुछ भी कहें पर अभी तो यही दिख रहा है और नरेन्द्र मोदी को सर्वमान्य नेता के रूप में प्रतिस्थापित करता है। इसे यों भी समझा जा सकता है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त करने का निर्णय और इसे लेकर दुनिया के देशों की चुप्पी, कूटनीतिक कौशल व क्षमता को ही सिद्ध करता है। पाकिस्तान और चीन को अलग-थलग करना हो या फिर रूस-यूक्रेन युद्ध या इजरायल-हमास युद्ध कहीं भी नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं हुआ।
विरोधी देशों के संकट के दौरान सहायता में सबसे आगे रहना, अरब देशों को भी भारत के पक्ष में बनाये रखना, अमेरिका और रूस दोनों को ही साधे रहना, अपने आप में बड़ी बात है। कोरोना दौर में भारतीय वैक्सीन के माध्यम से दुनिया के देशों के मानव इतिहास के सबसे बड़े संकटकाल में सहभागी के रूप में आगे आना लोकप्रियता और विश्वसनीयता बनाए रखने की बड़ी सफलता है। अमेरिका में ओबामा, फिर ट्रम्प और अब जो बाइडन काल में भी समान अधिकार के साथ संबंध बनाए रखना, कम चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां नहीं थी, लेकिन उससे भी पार पाने में कामयाबी हासिल की। पाकिस्तान को दुनिया के देशों से अलग-थलग करना तो मोदी के लिए मामूली बात सिद्ध हुई है।
दरअसल, आज के दौर में वैश्विक नेता के लिए बोल्ड होने, एग्रेसिव होने, कठोर व त्वरित निर्णय लेने वाले नेता लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। अच्छे बुरे परिणाम की चिंता कर निर्णय की उहापोह में फंसे नेता आज के लोगों की पसंद हो ही नहीं सकते। इसका बड़ा कारण दुनिया में वैश्विक संकट का दौर चलना है। संकटों के दौर में लोगों का यह मानना रहता है कि हमें आलोचना प्रत्यालोचना या आगा पीछा सोच कर निर्णय लेने वाला नहीं अपितु त्वरित और कठोर निर्णय लेने वाला नेता चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि नरेन्द्र मोदी इस पर खरे उतरे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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