नई दिल्ली । ऑथर और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) ने लंबे समय से चल रही हफ्तेभर में 70 घंटे काम करने को लेकर बहस पर अपनी राय रखी है। उनके पति और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने कुछ साल पहले यह कहकर बहस छेड़ दी थी कि हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। इस पर काफी हंगामा मचा था। अब सुधा मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा है कि जब लोग जुनूनी होते हैं तो समय कभी भी लिमिट नहीं बनता।
मीडिया से बात करते हुए सुधा मूर्ति ने बताया कि अपने करियर की शुरुआत में उनके पति प्रति सप्ताह 70 घंटे से ज्यादा काम करते थे, यही वजह है कि कम से कम पैसे में इंफोसिस बनाने का सपना संभव हो पाया। उन्होंने, “कोई जादू की छड़ी नहीं है जो इंफोसिस को इतना बड़ा बना सके। यह कड़ी मेहनत, किस्मत, सही समय या सही जगह का नतीजा था, सब कुछ था।”
पिछले सालों के दौरान किए गए व्यक्तिगत बलिदानों के बारे में बताते हुए, सुधा मूर्ति ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने पति के व्यस्त करियर के साथ पारिवारिक जीवन को संतुलित किया। उन्होंने कहा, “मैंने यह निर्णय लिया, और मैंने यह भी तय किया कि अपने पति से शिकायत करने और यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि, ओह, आप वहां नहीं हैं, क्योंकि वह एक बड़ा काम कर रहे हैं।” मूर्ति ने यह भी स्वीकार किया कि काम के प्रति समर्पण का यह स्तर केवल उनके पति तक ही सीमित नहीं है और अन्य क्षेत्रों के पेशेवर, जैसे कि डॉक्टर और पत्रकार, अक्सर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसी तरह लंबे समय तक काम करते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “मैंने सीखा कि मुझे व्यस्त रहने के लिए अपना रास्ता खुद बनाना होगा और यह नहीं सोचना होगा कि, आपके पास समय नहीं है। मैं लिखती थी, लेकिन मैंने थोड़ा और लिखना शुरू कर दिया।” समय की प्रकृति पर विचार करते हुए, सुधा मूर्ति ने निष्कर्ष निकाला, “भगवान ने सभी को 24 घंटे दिए हैं, चाहे आप अमीर हों या गरीब, सुंदर हों या बदसूरत। आप इसे कैसे खर्च करना चाहते हैं, यह आप पर छोड़ दिया जाता है। और अगर आप किसी काम को जुनून के साथ करना चाहते हैं, तो इसके लिए समय की आवश्यकता होती है और अगर आप अपने काम के प्रति जुनूनी हैं, तो आपके साथी को इसका समर्थन करना चाहिए।”
गौरतलब है कि साल 2023 में एक पॉडकास्ट के दौरान, इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा था कि देश की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम में से एक है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनों और जापानियों के उदाहरणों का हवाला देते हुए, मूर्ति ने सुझाव दिया था कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने पर विचार करना चाहिए।
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