भोपाल। मप्र भाजपा के इकतौते आदिवासी अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। साय भाजपा के उन नेताओं में शामिल हंै, जो भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। साय 1997 से लेकर 2000 तक अविभाजित मप्र के भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। 1998 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने साय के नेतृत्व में लड़ा था। 2001 में राज्य के विभाजन के बाद साय छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहले नेता प्रतिपक्ष रहे थे। उनके इस्तीफे से मप्र भाजपा के कई नेताओं को झटका लगा है। पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले ने ट्वीट कर लिखा कि ‘बड़ा झटका लगा य़ह जानकर कि श्री नन्द कुमार साय जी ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया। नन्द कुमार जी और मैंने संयुक्त मध्यप्रदेश में एक साथ बीजेपी में काम किया है।Ó
नंदकुमार साय अविभाजित मप्र में 3 बार विधायक रहे हैं। छत्तीसगढ़ की रायगढ़ सीट से 3 बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। साथ ही दो राज्यसभा सांसद रहे हैं। 2003 से 2005 तक छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष भी रहे हंै। खास बात यह है कि मप्र में आदिवासी नेताओं को आगे बढ़ाने की बात होती है, लेकिन असल में आदिवासी नेताओं को किसी भी दल ने आगे नहीं बढ़ाया है। मप्र में साय पहले आदिवासी नेता हंै, जो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। मौजूदा स्थिति में कोई भी आदिवासी नेता भाजपा में बड़े औहदे पर नहीं है।
मेरी छवि को धूमिल करने पार्टी में ही किए जा रहे षडय़ंत्र: साय
साय ने छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण साव को लिखे पत्र में लिखा है कि लिखा कि भाजपा के गठन एवं अस्तित्व में आने के प्रारंभ से लेकर आज पर्यंत तक पार्टी द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण पदों एवं उत्तरदायित्व की जितनी भी जिम्मेदारी मुझे दी गई उसे पूरे समर्पण एवं कर्तव्य परायणता के साथ मैंने अपने उत्तरदायित्व एवं पदों का निर्वहन किया, जिसके लिए मैं पार्टी का आभार व्यक्त करता हूं।उन्होंने आगे पत्र में लिखा कि ‘पिछले कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी में मेरी छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मेरे विरुद्ध अपने ही पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक मिथ्या आरोप अन्य गतिविधियों द्वारा लगातार मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाया जा रहा है, जिससे मैं अत्यंत आहत महसूस कर रहा हूं। बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैं भारतीय जनता पार्टी की अपनी प्राथमिक सदस्यता अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
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