नई दिल्ली। राजस्थान की सियासत में इन दिनों लाल डायरी का काफी जिक्र किया जा रहा है। कांग्रेस के बागी विधायक और बर्खास्त मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में लाल डायरी का मामला उठाया था। विधायक गुढ़ा का दावा है कि इस डायरी में गहलोत सरकार के दौरान हुए करप्शन का कच्चा -चिट्ठा है।
लाल डायरी के सामने आने के बाद से ही यह सवाल लगातार घूम रहा है कि आखिर जिस तरह के दावे राजेंद्र गुढ़ा कर रहे हैं उन दावों में कितनी सच्चाई है। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। बुधवार को राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया के सामने लाल डायरी के कुछ पन्नों को सामने रखा है।
राजेंद्र गुढ़ा ने पेश किए लाल डायरी के कुछ पन्ने
इस लाल डायरी में क्या लिखा है इस बात का खुलासा खुद राजेंद्र गुढ़ा ने कर दिया है। उन्होंने मीडिया के सामने लाल डायरी पढ़कर सुनाई और दिखाई है। राजेंद्र गुढ़ा ने इस डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी सौभाग सिंह, पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के बीच राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में लेनदेन की बातचीत का जिक्र किया है।
क्या लिखा है डायरी में?
बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने जिन पन्नों को मीडिया का सामने रखा है। उन पन्नों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी सौभाग सिंह से जुड़े कुछ दावे किए गए हैं। जिसके आधार पर विधायक गुढ़ा करप्शन का आरोप लगा रहे हैं। एक पन्ने पर लिखा है…,”भवानी शंकर सामोता और राजीव आये… आरसीए चुनाव का हिसाब किया. भवानी सामोता ने ज्यादातर लोगों से जो वादा किया था, वो पूरा नहीं किया तो मैंने कहा यह ठीक नहीं है. आप इसे पूरा करें. तब भवानी सामोता ने कहा-मैं सीपी साहब की जानकारी में डालता हूं…वैभवजी (अशोक गहलोत के बेटे) मेरे दोनों के आरसीए चुनाव के खर्चे को लेकर चर्चा हुई कि भवानी सामोता किस तरह तय करके लोगों को…”
डायरी में लिखी भाषा साफ नज़र नहीं आती है लेकिन साफ तौर पर समझ में आता है कि इसमें अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत और आरसीए से जुड़ी जानकारी है।
क्यों किया गया था गुढ़ा को बर्खास्त
कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने राजस्थान विधानसभा में मणिपुर मुद्दे पर बोलते हुए कहा था कि हमारी राज्य सरकार को अपने प्रदेश पर ध्यान देना चाहिए ना की मणिपुर पर बात करनी चाहिए। इसके बाद भाजपा कांग्रेस पर हावी होती हुई दिखाई दी थी। राजेंद्र गुढ़ा को विधानसभा में लाल डायरी लहराने के मामले में विधानसभा से बाहर भी कर दिया गया था।
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