• img-fluid

    “नई क़लम नया कलाम” कवि बंकट बिहारी ‘पागल’ के साथ

  • August 14, 2024

    भावनगर/गुजरात। जीवन (Life) एक ऐसा सत्य है जो किसी भी इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और इस संसार में ईश्वर (God) द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ रचना “मनुष्य” (“man”) इस रंगमंच (Theatre) पर अपने किरदार को सारी परेशानियों और संघर्ष के साथ इस संसार में अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है। इसी कड़ी में एक नाम है देश एक महान व प्रख्यात कवि (famous poet) बंकट बिहारी ‘पागल’ (Bankat Bihari ‘Pagal’) का, आज 12 अगस्त को कवि पागल के जन्मदिन को 86 वर्ष पूरे हो गए हैं।

    “नई क़लम नया कलाम” ने साहित्य परंपरा को सार्थक रूप से यादगार बनाने के लिए और भविष्य में आनेवाली नस्लों के लिए साहित्यकार और कलमकारों को ‘नई पहल साहित्य एक विरासत’ के माध्यम से यादगार और प्रेरणाश्रोत बनाने की ओर अग्रसर है। इसी कड़ी में भाग 11 के माध्यम से “कवि बंकट बिहारी पागल का जीवन परिचय और उनकी रचनाएं” के रूप में उनकी पुत्री प्रशंसा श्रीवास्तव जयपुर को अपने मंच पर साझा किया और इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए निशा अतुल्य देहरादून, उत्तराखंड द्वारा संचालित किया गया। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण YouTube Live पर नई क़लम नया कलाम  official चैनल पर भावनगर, गुजरात द्वारा किया गया।

    कार्यक्रम की शुरुआत प्रशंसा श्रीवास्तव के अभीनंदन से हुई तत्पश्चात निशा “अतुल्य” ने “कवि बंकट बिहारी पागल के जीवन के बारे में चर्चा की। प्रशंसा ने बताया कि पागल जी का शुरुआती जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा क्योंकि उनका सीधा हाथ जन्म से ही आधा था जिसकी वजह से सभी साथी मित्र उन्हें टोंटा कह कर बुलाते थे। परंतु पागल ने कभी भी इस बात से प्रभावित न होकर इस कमजोरी को अपनी ताकत माना और अपने व्यक्तित्व को एक कवि के रूप में जन्म दिया।

    प्रशंसा ने बताया कि पागल जी प्रथम द्रष्टया करुण रस के कवि रहे परंतु सुविख्यात हास्य कवि काका हाथरासी ने जब प्रथम बार हास्य कविसम्मेलन में बुलाया तो वहाँ भी कवि पागल ने अपनी त्वरित लेखन की प्रतिभा को उजागर किया और हास्य रस से सभी को अचंभित कर दिया।

    प्रशंसा बचपन से ही कविताओं और कवियों के बीच पली-बढ़ी, फलस्वरूप उनमें भी एक कवि मन का संचार हुआ और वे भी कवियत्री के रूप में आज साहित्यकारों के साथ शामिल हो गईं। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि कवि पागल ने अपना उपनाम पागल क्यों रखा, एक बार कवि पागल ने तीन उपनाम सोचे “पागल, हिन्दुस्तानी और अभागा”, प्रथम तो पागल ने सोच कि मैं अभागा नहीं हूँ तो ये उपनाम नहीं होन चाहिए और हिंदुस्तान में जन्मा हूँ तो हिन्दुस्तानी हूँ इसीलिए ये उपनाम भी बेकार है अतः अंत में उन्होंने पागल उपनाम रख लिया। कवि पागल के तीन काव्यों
    में से प्रशंसा ने करुण, हास्य और वीर रस विधा की कविताएं सुनाई जिसमें “नारी के तीन रूप…, फेंक दो सितार को…, न तेरी है न मेरी है रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और भरपूर
    वाहवाही बटोरी।

    प्रशंसा ने बताया कि कवि पागल जब जयपुर आए और एक सरकारी कर्मचारी के रूप में कापरेटिव में आर्टिस्ट के पद पर भी कार्य किया। इसी दौरान उनके जीवन को आलौकित करने के लिए और उनके जीवन को उज्जवल बनाने के लिए उनकी शादी जयपुर की बेटी स्व. श्रीमति कल्पना श्रीवास्तव से हुई। उनकी पत्नी ने भी जीवनभर अनवरत उनका साथ बखूबी निभाया और 15 फरवरी, 2017 को उनका साथ छोड़कर चली गई। बस इसी दुःख से पागल जी की प्रेरणा को आघात लगा और पागल के रूप में एक अध्याय खत्म हो गया पर अपने जीवन के 50 वर्ष साहित्य, कला और कवि सम्मेलन के मंचों को इतिहास दे गए। उनके मंच संचालन और हाजिर जवाबी को देश की जनता हमेशा याद करती रहेगी।

    सन् 1956 से निरंतर जयपुर आकाशवाणी से आपने अनेकों बार प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर करूण, हास्य व वीर रस की कविताऐं प्रसारित कर साहित्य एवं संस्कृति को उजागर किया। छोटे और बड़े पर्दे पर अभिनय के क्षेत्र में भी आपने अपनी सकारात्मक भूमिका निभाकर साहित्य जगत को गौरवान्वित किया है। जयपुर दूरदर्शन द्वारा प्रदर्शित प्रथम राजस्थानी टेली फिल्म पंचायत रो फैसलो, समय की धारा, तीसमार खां एवं हंसते रह जाओगे धारावाहिकों में मुख्य भूमिका में आपने अभिनय कर लोकप्रियता अर्जित की।

    70 के दशक के बालीवुड के अभिनेता व अभिनेत्रियों को भी कवि पागल के व्यक्तित्व ने प्रभावित किया और प्रदीप कुमार, परिक्षित साहनी, मनोज कुमार, रजा मुराद, रविन्द्र जैन, कामिनी कौशल, साधना, पं. विश्वेशवर शर्मा आदि कई हस्तीयां उनके मित्रों के रूप में शामिल हुए। इसके अलावा अटल बिहारी बाजपेयी, इंदिरा गांधी भी कवि पागल की हाज़िर जवाबी से अभिभूत थे। एक बार एक मंच पर कवि पागल ने अटल बिहारी से कहा कि “जो काम आपके दायें हाथ का है वो मेरे बाएं हाथ का है।“

    काव्य एवं साहित्य के क्षेत्र में आपके अविस्मरणीय योगदान के लिए समय-समय पर आपको विभिन्न पुरस्कारों द्वारा पुरस्कृत किया गया जिनमें मुख्य रूप से 1982 में काका हाथरसी पुरस्कार जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में प्रदान किया गया, कानपुर में 1996 में षोडश काव्य पुरस्कार, मुम्बई में 2001 में महादेवी वर्मा पुरस्कार और कवियों के सबसे बड़े पुरस्कार टेपा पुरस्कार से रजा मुराद ने सम्मानित किया। सम्पूर्ण देशभर में कवि सम्मेलनों में आपके हास्य, करूण व वीर रस की कविताओं की मांग श्रोताओं द्वारा बार-बार की जाती रही है। अनेकानेक मंचों पर आपको समय-समय पर सम्मानित किया जाता रहा है। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में 9 जुलाई, 2017 को संस्कार भारती, जयपुर की ओर से कवि पागल को कला गुरू सम्मान से सम्मानित किया गया। आपने ब्रजभाषा और राजस्थानी मंचों पर भी कविता पाठ कर शौहरत हासिल की।

    Youtube Link:

    अंत में निशा ने प्रशंसा, कार्यक्रम के आयोजक संस्थापक  पागल फ़क़ीरा (भावनगर, गुजरात) और उपाध्यक्ष डॉ. दीपिका सुतोदिया  सखी, सचिव यामा शर्मा उमेश और संरक्षिका महेश्वरी कनेरी व
    श्रोताओं का धन्यवाद किया।

    Share:

    विशिष्ट सेवा के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के इन 69 जाबांजों को मिलेगा प्रेसिडेंट मेडल, देखें लिस्ट

    Wed Aug 14 , 2024
    भोपाल: 78वें स्‍वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के 69 पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों (Officers and Employees) को राष्‍ट्रपति पुलिस पदक (President Police Medal) से अलंकृत किया जाएगा. पुलिस अधीक्षक राजगढ़ आदित्‍य मिश्रा, निरीक्षक हॉक फोर्स बालाघाट रामपदम शर्मा, उप निरीक्षक हॉक फोर्स बालाघाट आशीष शर्मा, प्रधान आरक्षक हॉक फोर्स बालाघाट रमेश विश्‍वकर्मा, निरीक्षक […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शुक्रवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved